कोरोना वायरस से जूझ रहे देशों के लिए खजाना खोल देगा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)

आईएमएफ (IMF) प्रमुख और विश्वबैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास दोनों ने जी20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गर्वनरों द्वारा गरीब देशों के लिये कर्ज की किस्तों की देनदारी निलंबित करने के निर्णय की सराहना की.

author-image
Dhirendra Kumar
New Update
Kristalina Georgieva

क्रिस्टालिना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva)( Photo Credit : फाइल फोटो)

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण सदस्य देश मदद की भारी मांग कर रहे हैं. अप्रत्याशित तरीके से 189 सदस्य देशों में से 102 देश अब तक मदद की मांग कर चुके हैं. उन्होंने विश्वबैंक के साथ सालाना ग्रीष्मकालीन बैठक की शुरुआत पर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आईएमएफ मदद की मांग को पूरा करने के लिये एक हजार अरब डॉलर की पूरी क्षमता के कर्ज वितरित करने के लिये प्रतिबद्ध है.

Advertisment

यह भी पढ़ें: रेग्युलर इनकम के लिए बेहतरीन ऑप्शन है सिस्टेमैटिक विद्ड्राल प्लान (Systematic Withdrawal Plan)

2009 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में आई थी 0.1 प्रतिशत की गिरावट
आईएमएफ प्रमुख और विश्वबैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास दोनों ने जी20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गर्वनरों द्वारा गरीब देशों के लिये कर्ज की किस्तों की देनदारी निलंबित करने के निर्णय की सराहना की. आईएमएफ के नये आकलन के अनुसार, इस महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में तीन प्रतिशत की गिरावट आ सकती है. वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान 2009 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 0.1 प्रतिशत की गिरावट आयी थी. आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि यह एक ऐसा संकट है जो पहले कभी नहीं देखा गया. इस महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था 1930 दशक की महान आर्थिक मंदी के बाद के सबसे बड़े संकट से गुजर रही है.

यह भी पढ़ें: भारत का आर्थिक कीमत पर लॉकडाउन का फैसला बुद्धिमानी भरा कदम: IMF

वैश्विक जीडीपी में तीन प्रतिशत की गिरावट आ सकती है. तीन महीने पहले हमारा आकलन था कि हमारे सदस्य देशों में से 160 देशों में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होगी, लेकिन अब 170 देशों में प्रति व्यक्ति आय में गिरावट की आशंका है. उन्होंने कहा कि यह इतिहास में पहला मौका है, जब आईएमएफ के वृहद आर्थिक अनुमान में आपदा विशेषज्ञों से राय ली जा रही है. ये विशेषज्ञ आईएमएफ को बता रहे हैं कि यदि यह वायरस लंबे समय तक कहर ढाता रहा या टीका एवं उपचार के दवाओं के विकास में देरी हुई तो स्थिति और खराब हो सकती है. जॉर्जीवा ने कहा कि आईएमएफ पहले ही आपातकालीन मदद कार्यक्रमों को 50 करोड़ डॉलर से बढ़ा कर 100 करोड़ डॉलर कर चुका है.

यह भी पढ़ें: Covid-19: हेल्थ इंश्योरेंस और थर्ड पार्टी मोटर इंश्योरेंस प्रीमियम जमा करने का समय बढ़ा

उन्होंने कहा कि आईएमएफ इसके साथ ही इस बात की भी तैयारी कर रहा है कि जैसे ही अर्थव्यवस्थाएं इस संकट से उबरना शुरू करें, उनकी गतिविधियां पुन: शुरू की जा सकें. उन्होंने कहा कि हमें इस बारे में भी सोचने की जरूरत है कि इस संकट के दूसरे छोर पर हमें किन संकटों का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि आईएमएफ का बोर्ड पहले ही 25 सबसे गरीब सदस्य देशों के लिये ऋण सहायता पैकेज को मंजूर कर चुका है. हमें ऐसे में संसाधन जुटाने की जरूरत होगी. यह खुशी की बात है कि जी20 देशों के साथ सुबह हुई बैठक में आईएमएफ को एकमत से समर्थन मिला.

Global Recession International Monetary Fund IMF Kristalina Georgieva Global Economy
      
Advertisment