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नारायणमूर्ति और मैनेजमेंट के बीच सामने आया मतभेद, विशाल सिक्का को मिला इंफोसिस बोर्ड का साथ

इन दिनों इंफोसिस के सीईओ और संस्थापकों के बीच सिक्का को दिए गए वेतन वृद्धि और दो पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों को कंपनी से हटने के पैकेज पर भारी भरकम सेवरेंस पे को लेकर विवाद है।

Updated on: 10 Feb 2017, 09:58 PM

highlights

  • नारायणमूर्ति के बयानों से किरण मजूमदार ने जताया इंकार
  • सईओ विशाल सिक्का को दिए वेतन वृद्धि के बाद शुरू हुआ विवाद, संस्थापकों ने उठाए सवाल

नई दिल्ली:

इंफोसिस में जारी विवाद के बीच सीईओ विशाल सिक्का को कंपनी के बोर्ड का साथ मिला है। इंफोसिस बोर्ड के सदस्य और बायोकॉन की चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ ने शुक्रवार को कहा कि कंपनी के कॉरपोरेट गवर्नेंस के स्तर में कोई गिरावट नहीं आई है और हो सकता है कि मौके की नजाकत को समझते हुए कुछ ऐसे फैसले लिए गए हों जिसमें बोर्ड और प्रोमोटर्स के विचारों में अंतर हो।

इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायणमूर्ति के हाल में कॉरपोरेट गवर्नेंस के स्तर में गिरावट वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए किरण ने कहा कि बोर्ड भविष्य में प्रोमोटर्स की ऐसी चिंताओं पर गौर करने की कोशिश करेगी। साथ ही किरण ने यह भी साफ किया कि बोर्ड पूरी तरह से सीईओ विशाल सिक्का के साथ खड़ा है।

किरण के मुताबिक, 'व्यक्तिगत तौर पर मुझे नहीं लगता कि गवर्नेंस में किसी तरह की गिरावट आई है। हां, मूर्ति और प्रोमोटर्स ने कुछ मुद्दे जरूर उठाए हैं। मुझे नहीं लगता है कि यह गवर्नेंस में गिरावट का मुद्दा है।'

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हाल में मूर्ति ने एक इंटरव्यू में कहा था कि साल-2015 के एक जून से संस्थापक लगातार गवर्नेंस में कमी देख रहे हैं। मूर्ति ने कहा था, हमने पूरी दुनिया में गुड गवर्नेंस के लिए अवार्ड जीते। हालांकि, एक जून, 2015 से इसमें लगातार कमी नजर आ रही है।

किरण मजूमदार ने कहा, 'मुझे लगता है कि बोर्ड जो भी कर रहा है, वह संवाद के लिए एक फॉर्मल चैनल है। हमें उम्मीद है कि इस रास्ते से हम सभी मुद्दों पर गौर कर सकेंगे।'

विशाल सिक्का के मुद्दे पर किरण ने कहा, 'बोर्ड ने हमेशा से विशाल सिक्का का समर्थन किया है। यह ऐसे मुद्दों पर उलझने का नहीं बल्कि आगे बढ़ने का वक्त है।' इंफोसिस मैनेजमेंट विवाद पिछले कुछ दिनों से ख़बरों में लगातार बना हुआ है।

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दरअसल, इन दिनों इंफोसिस के सीईओ और संस्थापकों के बीच सिक्का को दिए गए वेतन वृद्धि और दो पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों को कंपनी से हटने के पैकेज पर भारी भरकम सेवरेंस पे को लेकर विवाद मचा है।

इसके बाद से मामला सुर्खियों में है। संस्थापकों की तरफ से यह बात उठ रही है कि जब कंपनी के मुनाफे तेजी से नहीं बढ़ रहे हैं, ऐसे में क्या कंपनी के चीफ एक्जीक्यूटिव की तनख्वाह इतनी तेजी से बढ़नी चाहिए।