उद्योग जगत को अगली तिमाही में GDP ग्रोथ बेहतर रहने की उम्मीद
एसोचैम (ASSOCHAM) के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि अर्थव्यवस्था में नरमी अपने निचले स्तर पर पहुंच चुकी है और अब यह इससे ऊपर आएगी.
दिल्ली:
भारतीय उद्योग जगत ने शुक्रवार को सरकार के प्रोत्साहन कदमों का असर अगली तिमाही तक दिखने की उम्मीद जतायी है. उन्होंने कहा कि इससे देश की आर्थिक वृद्धि दर में होने वाला सुधार अगली तिमाही तक दिखने लगेगा. गौरतलब है कि देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत पर पहुंच गया है. इस संबंध में सरकार ने शुक्रवार को आधिकारिक आंकड़े जारी किए. भारतीय उद्योग जगत ने कहा कि यह देश की अर्थव्यवस्था की क्षमता से नीचे है. एसोचैम (ASSOCHAM) के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि अर्थव्यवस्था में नरमी अपने निचले स्तर पर पहुंच चुकी है और अब यह इससे ऊपर आएगी.
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निजी उपभोग और निवेश मांग में कमजोरी बरकरार
बायोकॉन की चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक किरन मजूमदार शॉ ने कहा कि व्यावहारिक नीतियों से भारत को फिर से शीर्ष पर पहुंचाने में मदद मिल सकती है. उद्योग मंडल फिक्की (Federation of Indian Chambers of Commerce & Industry-FICCI) के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने कहा कि जुलाई-सितंबर में जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत पर आना चिंताजनक है लेकिन इसके ऐसे रहने का पहले से अनुमान था. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था (Economy) के संकेतक कमजोरी की ओर इशारा कर रहे थे. यद्यपि त्यौहारी मौसम में इसमें मामूली सुधार देखा गया लेकिन निजी उपभोग और निवेश मांग कमजोर बनी हई है.
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सरकार ने हाल में कुछ कदम उठाए हैं और आशा है कि इससे चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में हालात बेहतर होंगे. पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष डी. के. अग्रवाल ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में सुधार के कदम उठाए गए हैं और यह निश्चित तौर पर देश की अर्थव्यवस्था के इंजन को शक्ति देंगे.
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दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ 6 साल के न्यूनतम स्तर 4.5 फीसदी पर
देश की आर्थिक वृद्धि में गिरावट का सिलसिला जारी है. विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट और कृषि क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत पर रह गयी. यह छह साल का न्यूनतम स्तर है. एक साल पहले 2018-19 की इसी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत थी. वहीं चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 5 प्रतिशत थी.
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वित्त वर्ष 2019-20 की जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर का आंकड़ा 2012-13 की जनवरी-मार्च तिमाही के बाद से सबसे कम है. उस समय यह 4.3 प्रतिशत रही थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा शुक्रवार को जारी जीडीपी आंकड़ों के अनुसार सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) वृद्धि दर 4.3 प्रतिशत रही.
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