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उद्योगपतियों ने कहा: भारतीय ई-रुपये से मिलेगा डिजिटल भुगतान को बढ़ावा

उद्योगपतियों ने कहा कि केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) बैंक खाते की आवश्यकता के बिना डिजिटल भुगतान तक पहुंच प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.  वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में इसकी घोषणा के बाद से ई-रुपये की मांग बढ़ी है. बीसीटी डिजिटल की सीईओ जया वैद्यनाथन ने कहा कि आरबीआई द्वारा डिजिटल रुपये के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत डिजिटल भुगतान की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति का प्रतीक है.

Updated on: 06 Nov 2022, 05:01 PM

नई दिल्ली:

उद्योगपतियों ने कहा कि केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) बैंक खाते की आवश्यकता के बिना डिजिटल भुगतान तक पहुंच प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.  वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में इसकी घोषणा के बाद से ई-रुपये की मांग बढ़ी है. बीसीटी डिजिटल की सीईओ जया वैद्यनाथन ने कहा कि आरबीआई द्वारा डिजिटल रुपये के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत डिजिटल भुगतान की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति का प्रतीक है.

आरबीआई के पायलट प्रोजेक्ट में एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी बैंक, यस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और आईसीआईसीआई बैंक सहित नौ बैंक शामिल हैं, जो सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन का निपटान करते हैं. इससे निपटान जोखिम और लेनदेन लागत कम हो जाती है.

वैद्यनाथन जोर दिया कि एक सफल पायलट प्रोजेक्ट और विस्तार से डिजिटल मुद्रा में पारदर्शिता और कम परिचालन लागत सुनिश्चित करते हुए उपयोगकर्ताओं की भुगतान और वित्तीय जरूरतों को बढ़ावा देने की उम्मीद है. भारत की डिजिटल मुद्रा दुनिया में सबसे अधिक तकनीकी रूप से विकसित मुद्राओं में से एक है और ई-रुपया इसे डिजिटल भुगतानों में सबसे आगे रखेगा.

वी ट्रेड के संस्थापक व सीईओ प्रशांत कुमार ने कहा, आरबीआई द्वारा समर्थित डिजिटल रुपये की लोकप्रियता क्रिप्टो जैसी अन्य निजी डिजिटल मुद्राओं को वैधता प्रदान करने में मदद करेगी. यह डिजिटल मुद्रा की स्वीकृति की दिशा में एक सकारात्मक कदम है. रूबा में सह-संस्थापक और मुख्य कानूनी और रणनीति अधिकारी अर्जुन खजांची के अनुसार सीबीडीसी एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. सरकार परंपरागत रूप से अपारदर्शी, नकदी पर निर्भर और अक्षम व्यवस्था को हतोत्साहित कर रही है.

खजांची ने कहा, सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन के लिए पहला मामला होने जा रहा है. यह कदम तरलता को भी बढ़ावा दे सकता है, लेनदेन की लागत को कम करते हुए अक्षम और अनावश्यक प्रक्रियाओं को हटा सकता है. इससे प्रतिभागियों के बीच पारदर्शिता भी बढ़ेगी.

इसके माध्यम से सरकार को निपटान जोखिम को कम करने में भी सक्षम होने की उम्मीद है. सीबीडीसी पर सरकार की निजता और प्रत्यक्ष नियंत्रण को लेकर कुछ आशंकाएं हैं. खजांची ने कहा, खुदरा सीबीडीसी अभी भी दूर है और इसे लागू करने से पहले तकनीकी प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी.

सीबीडीसी मौद्रिक नीति में सार्वजनिक कानूनी भूमिका को बनाए रखने में मदद कर सकता है, जिससे बाजारों में वित्तीय स्थिरता की रक्षा करने में केंद्रीय बैंकों की भूमिका सुनिश्चित हो सके. सेंट्रिकिटी वेल्थ टेक के सह संस्थापक मनीष शर्मा के अनुसार सीबीडीसी बैंक खाते की आवश्यकता के बिना डिजिटल भुगतान तक पहुंच प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

शर्मा ने कहा, सीबीडीसी की सफलता के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी आवश्यक होगी, जिससे केंद्रीय बैंकों को स्थापित बुनियादी ढांचे और ग्राहक संबंधों का लाभ उठाने में मदद मिलेगी. पेमी इंडिया के सीईओ और संस्थापक महेश शुक्ला ने कहा कि आरबीआई अन्य थोक लेनदेन और सीमा पार भुगतान पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद कर रहा है, जिसे आम जनता के लिए वित्तपोषण के तरीकों को आसान बनाने के कदम के रूप में पेश किया जा सकता है.