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भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी Photograph: (Social Media)
India's forex exchange: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले दो सालों में सबसे तेज़ वृद्धि देखने को मिली. पिछले महीने 28 तारीख को केंद्रीय बैंक द्वारा किए गए 10 बिलियन डॉलर के विदेशी मुद्रा स्वैप के बाद, जब रुपये के मुकाबले डॉलर की खरीद की गई तो देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 7 मार्च को खत्म हुए सप्ताह के दौरान 15.267 बिलियन डॉलर की भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई. जो उस सप्ताह के दौरान हुई तेज वृद्धि बीते दो वर्षों में सबसे तेज उछाल थी. बता दें कि पिछले साल सितंबर 2024 में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 704.885 बिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था.
बता दें कि विदेशी मुद्रा भंडार का एक प्रमुख घटक, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां हैं जो 13.993 बिलियन डॉलर बढ़कर 557.282 बिलियन डॉलर हो गईं. वहीं डॉलर के संदर्भ में व्यक्त की गई विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी इकाइयों की मूल्यवृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल है. आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, इस सप्ताह में आईएमएफ के साथ भारत की आरक्षित स्थिति 69 मिलियन डॉलर घटकर 4.148 बिलियन डॉलर रह गई.
15 अरब डॉलर से ज्यादा की हुई बढ़ोतरी
भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े जारी करते हुए बताया कि 7 मार्च 2025 के बाद भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 15.267 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है. इसी के साथ भारत का कुल फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व बढ़कर 653.966 अरब डॉलर हो गया है. बता दें कि केंद्रीय बैंक हर हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार की रिपोर्ट जारी करता है.
इससे पहले 28 फरवरी 2025 की आरबीआई ने रिपोर्ट जारी की थी. जिसमें बताया गया था कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 1.781 अरब डॉलर की कमी आई थी. बता दें कि पिछले साल सितंबर से विदेशी मुद्रा भंडार में लगायार गिरावट देखने की मिल रही थी, लेकिन फरवरी के बाद इसमें तेजी देखने को मिली है.
सितंबर 2024 सबसे ज्यादा था विदेशी मुद्रा भंडार
वहीं सितंबर 2024 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था. इस दौरान भारत का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व 704.885 बिलियन डॉलर दर्ज किया गया था. हालांकि इसके बाद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से कम होने लगा. इसके पीछे की वजह कई देशों में चल रहे युद्ध और वैश्विक स्तर पर बनी अस्थिरता को माना गया.