रेल मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रीय रेल योजना का लक्ष्य माल ढुलाई की वर्तमान हिस्सेदारी को 28 प्रतिशत से बढ़ाकर 44 फीसदी करना है।
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधावर लोकसभा में कहा कि राष्ट्रीय रेल योजना की परिकल्पना है कि रेल द्वारा माल ढुलाई का हिस्सा साल 2051 तक 28 प्रतिशत के वर्तमान हिस्से से बढ़कर 44फीसदी हो जाना चाहिए। महत्वपूर्ण उच्च घनत्व मार्ग पर डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) का निर्माण भारतीय रेल द्वारा एक महत्वपूर्ण नीतिगत उपाय है। ये देश में रेलवे की गिरती बाजार हिस्सेदारी की प्रवृत्ति को रोकने के लिए और लाभ को रेल परिवहन के पक्ष में स्थानांतरित करेगा। डीएफसी संचालन माल ढुलाई में दक्षता लाएगा और इसकी डिजाइन सुविधाओं के कारण रेल टैरिफ को और अधिक प्रतिस्पर्धी बना देगा।
इसके अलावा भारतीय रेलवे ने माल ढुलाई खंड में अपने मॉडल हिस्से को बढ़ाने के लिए बहु-आयामी रणनीति अपनाई है, जिसमें टैरिफ युक्तिकरण और माल प्रोत्साहन योजनाएं शामिल हैं।
इसके अलावा, सामान्य प्रयोजन के वैगनों, विशेष प्रयोजन व उच्च क्षमता वाले वैगनों और ऑटोमोबाइल वाहक वैगनों में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए कई अन्य योजनाएं भी शुरू की गई हैं। वर्तमान में विभिन्न निवेश योजनाओं के तहत लगभग 232 रेक शामिल किए गए हैं।
कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड का रणनीतिक विनिवेश निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) द्वारा किया जा रहा है। दीपम ने सूचित किया है कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 20.11.2019 को हुई अपनी बैठक में कॉनकॉर में भारत सरकार (जीओआई) की वर्तमान 54.8 फीसदी हिस्सेदारी में से 30प्रतिशत हिस्सेदारी के रणनीतिक विनिवेश को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। रणनीतिक खरीदार को प्रबंधन नियंत्रण के हस्तांतरण के साथ।
इसके साथ ही 4अक्टूबर 2022 को जारी रेलवे भूमि के प्रबंधन के लिए नीति पर मास्टर सर्कुलर 35 साल तक की लीज अवधि के लिए रेलवे के विशेष उपयोग के लिए अक्षय ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की अनुमति देता है वो भी प्रति वर्ष 1 रुपये प्रति वर्ग मीटर (वर्गमीटर) की दर से। इसके अलावा, यह एक पारदर्शी नीति और केंद्रीय विद्यालय संगठन के माध्यम से चुने गए अस्पतालों को 60 साल तक की लीज अवधि के लिए 1 रुपये प्रति वर्ग मीटर (वर्गमीटर) प्रतिवर्ष की दर से अनुमति देता है। अब तक, भारतीय रेलवे ने अपनी खाली भूमि पर लगभग 6.7 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया है।
मंत्रालय के अनुसार, मॉडर्न कोच फैक्ट्री, रायबरेली (उत्तर प्रदेश) में 3 मेगावॉट का सोलर प्लांट चालू किया गया है। दीवाना (हरियाणा) में 2 मेगावाट का सौर संयंत्र चालू किया गया है। बीना (मध्य प्रदेश) में 1.7 मेगावाट का सौर संयंत्र चालू किया गया है। इसके अलावा, भिलाई में 50 मेगावाट क्षमता के संयंत्र की स्थापना के लिए रेलवे की खाली भूमि का भी उपयोग किया गया है।
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Source : IANS