चिप इंडस्ट्री के जरिए भारत बनेगा आत्मनिर्भर! अभी इन देशों की है बादशाहत
21वीं सदी में चिप के बिना टेक्नोलॉजी की दुनिया अधूरी है. आज चिप का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स से लेकर गैजेट बनाने में किया जा रहा है. भारत ने मौके की नजाकत को देखते हुए इस सेक्टर में भारी भरकम निवेश करने का प्लान तैयार किया है.भारत इसके जरिए ही अव्वल बनेगा.
नई दिल्ली:
इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्टस का दिल कहे जाने वाले सेमीकंडक्टर चिप की चर्चा इन दिनों भारत में जोरों पर है. इस चिप की डिमांड घर में इस्तेमाल होने वाले छोटे से डिवाइस से लेकर स्पेस में होने वाली बड़ी गतिविधियों में है. आज हर सेक्टर में सेमीकंडक्टर की जरूरत पड़ रही है. आज इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स से लेकर गैजेट्स तक चिप की मांग तेजी से बढ़ रही है. स्मार्ट फोन, कम्प्यूटर्स, लैपटॉप, टैबलेट, हाउसहोल्ड अप्लायंसेज, लाइफ सेविंग फार्मास्यूटिकल डेवाइसेज, एटीएम समेत कई तरह के प्रोडक्टों में इसका तेजी से इस्तेमाल हो रहा है. यही वजह है कि भारत सरकार इसको लेकर बेहद गंभीर है और सरकार भारत में इसका हब बनाने पर जोर दे रही है. सरकार इससे जुड़े कार्यक्रमों में मोटी रकम निवेश कर रही है. चिप मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देना चाहती है. सरकार देश में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग का नया युग शुरू करना चाहती है और दुनियाभर की कंपनियों को भारत आने का न्योता दे रही है. इसी के तहत गुजरात के गांधीनगर में सेमीकॉन इंडिया 2023 का आयोजन किया गया है. पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत में सेमीकंडक्टर बनाने वाली कंपनियों को 50 फीसदी वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाएगी.
सेमीकॉन इंडिया 2023 सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में कहा कि देश में सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पूरा इको सिस्टम तैयार किया जा रहा है और तेजी से यह उद्योग विकास कर रहा है. आखिर ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार इतना जोर क्यों दे रही है. इस इंडस्ट्री में ऐसा वह क्या देख रही है जिसे वह पूरी दुनिया पर अपना छाप छोड़ सकती है. कभी इस इंडस्ट्री पर चीन और अमेरिका की बादशाहत हुआ करती थी.. क्या अब भारत इस उद्योग का नेतृत्व करेगा. क्या भारत सेमीकंडक्टर तैयार करने के लिए सबसे परफेक्ट देश है तो आइए हम आपको बताते हैं इसकी पूरी क्रोमोलॉजी...
छोटी चीज की बड़ी दुनिया में भारत देख रहा भविष्य
दरअसल, सरकार आने वाले तीन साल में यानी 2026 तक भारत को सेमीकंडक्टर का सबसे बड़ा मार्केट बनाना चाहती है. सरकार का इरादा है कि जिस तरह देश आज कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बना रहा है...उसी तरह से सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बने. आखिर सेमीकंडक्टर चिप की डिमांड इतनी बढ़ कैसे गई. छोटी चीज की बड़ी दुनिया सेमीकंडक्टर चिप के बिना आज की दुनिया में जीवन यापन करना मुश्किल है. इसके बिना कोई भी इलेक्ट्रोनिक प्रोडेक्ट्स संचालित नहीं हो सकते. दो से तीन साल पहले कोरोना काल के दौरान सेमीकंडक्टर चिप की कमी और इसकी सप्लाई से पूरी दुनिया हिल गई थी. चिप बनाने वाली कंपनियों को भारी भरकम नुकसान हुआ था. इस सेक्टर पर अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए चीन और अमेरिका के बीच तनातनी है. इसका खामियाजा सबसे ज्यादा सेमीकंडक्टर बनाने वाली कंपनियों को भुगतना पड़ रहा है. दोनों देशों ने एक-दूसरे की कंपनियों पर तरह-तरह की पाबंदियां लगाई हैं.
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कैसे गहराया चिप संकट
अमेरिका का दावा है कि चीन अपनी मिलिट्री और सर्विलांस प्रोग्राम्स में अमेरिकी प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल कर रहा है. लिहाजा अमेरिका ने चिप और इससे बनने वाले प्रोडक्ट्स की सप्लाई पर पाबंदी लगा दी है. अमेरिका कंपनियों का वित्तीय सहायता देकर अपने देश में ही निवेश करने का माहौल तैयार कर रहा है, लेकिन अमेरिका की अपनी मजबूरी है. अमेरिका चाहकर भी चीन से पैकअप नहीं कर रहा है. अमेरिका के लिए चीन सबसे बड़ा बाजार है. चीन में अमेरिकी कंपनियां बड़ी संख्या में ऐसे प्रॉडक्ट्स बनाती हैं, जिसकी दुनिया में भारी डिमांड है. दुनिया में सेमीकंडक्टर की सप्लाई में चीन का बड़ा योगदान है. अमेरिका चाहकर भी वह माहौल तैयार नहीं कर रहा है जिसमें चीन आसानी से मार्केट बना रखा है. क्योंकि चिप बनाने वाली कंपनियों की फैक्ट्री लगाने में अमेरिका में लंबा समय लग जाएगा. लिहाजा सेमीकंडक्टर उद्योग अभी काफी हद तक चीन पर निर्भर है.
चिप किल्लत की मुख्य वजह
वैसे तो सेमीकंडक्टर चिप के बिना आज कुछ भी तैयार नहीं हो सकता. मानव जीवन में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडेक्ट्स में चिप का उपयोग किया जाता है, लेकिन कोरोना काल में चिप संकट ऐसा हुआ कि मोबाइल से लेकर गाड़ियों की कीमतों में इजाफा हो गया. इसकी कमी के कारण दुनियाभर की कंपनियों को अरबों डॉलर को झटका लगा. चिप सप्लाई कमी होने से करीब 170 उद्योग प्रभावित हुईं.
चिप बनाने वाली ये हैं प्रमुख कंपनियां
चिप का इस्तेमाल 5जी, आईओटी, ड्रोन, रोबोटिक्स, मोबाइल, गैजेट्स, व्हीक्लस आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, एडवांस्ड वायरलेस नेटवर्क्स समेत कई टेक्नोलॉजी में तेजी से हो रहा है.सेमीकंडक्टर चिप मॉडर्न कम्प्यूटेशन के बिल्डिंग ब्लॉक्स हैं. सेमीकंडक्टर चिप्स बनाने वाली प्रमुख कंपनियों में Intel, Samsung, Taiwan Semiconductor, Nvidia और Broadcom कंपनी शामिल हैं. चिप बनाने की प्रक्रिया बेहद ही पेंचीदा और जटिल है. इसकी बनावट से पहले रिसर्च करने की जरूरत पड़ती है. चिप में R&D में अमेरिका सबसे आगे है, वहीं, एसेंबलिंग, पैकेजिंग और टेस्टिंग में ताइवान है तो चीन में बड़ी संख्या में इनका उत्पादन होता है.
भारत बनेगा अव्वल देश, स्किल्ड युवाओं को मिलेगी नौकरी
दरअसल, मौजूदा समय में भारत सेमीकंडक्टर मटेरियल को आयात करता है. हर साल देश में 1.76 लाख करोड़ का सेमीकंडक्टर मटेरियल का इंपोर्ट होता है. अगर भारत में यह तैयार होने लगेगा तो माना जा रहा है कि बड़े संख्या में यहां पर लोगों को रोजगार भी मिलने लगेगा. अब भारत इस मार्केट में एंट्री करके कीर्तिमान हासिल करना चाह रहा है. भारत को उम्मीद है कि सेमीकंडक्टर चिप बनाकर वह आत्मनिर्भर बना सकता है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिप इंडस्ट्री के लिए अपनी तिजोरी खोल दी है. सरकार सेमीकंडक्टर योजना के तहत 10 अरब डॉलर प्रोत्साहन देने की योजना बना रही है. इसके तहत केंद्र सरकार ने देश में सेमीकंडक्टर (चिप) निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए निवेशकों को प्रोत्साहित कर रही है. निश्चित तौर पर आने वाले समय में भारत दुनिया में चिप इंडस्ट्री में अव्वल देश बनेगा.
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