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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
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फाइनैंशियल ईयर 2017-18 की तीसरी तिमाही में देश की आर्थिक गति चौंकाने वाली रही है। दूसरी तिमाही के 6.5 फीसदी के मुकाबले अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में देश की जीडीपी की रफ्तार 7.2 फीसदी रही।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
फाइनैंशियल ईयर 2017-18 की तीसरी तिमाही में देश की आर्थिक गति चौंकाने वाली रही है। दूसरी तिमाही के 6.5 फीसदी के मुकाबले अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में देश की जीडीपी की रफ्तार 7.2 फीसदी रही।
जीडीपी आंकड़ों को जारी करते हुए भारत के मुख्य सांख्यिकीविद टीसीए अनंत ने कहा, 'पहली तिमाही के 5.7 फीसदी के मुकाबले दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.3 फीसदी रही। करीब पांच तिमाही की गिरावट के बाद जीडीपी रिकवर करने में सफल रही है और यह उत्साहजनक है।'
नोटबंदी और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के झटकों से उबरने में सफल रही भारतीय अर्थव्यवस्था ने दूसरी तिमाही में शानदार प्रदर्शन के दम पर आर्थिक वृद्धि के मामले में चीन (6.8 फीसदी) को पीछे छोड़ दिया है।
सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 6.3 फीसदी रही जबकि पहली तिमाही में यह आंकड़ा 5.7 फीसदी रहा था, जो पिछले तीन सालों की सबसे कमजोर ग्रोथ रेट थी।
और पढ़ें: विकास दर में चीन से आगे निकला भारत, तीसरी तिमाही में 7.2 फीसदी की पकड़ी रफ्तार
देश की अर्थव्यवस्था को मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन की मजबूती से मदद मिली और यह एक बार फिर से दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था में शुमार हो गया है।
राजकोषीय घाटे ने बिगाड़ा खेल
हालांकि बढ़ते राजकोषीय घाटे ने आशंकाओं को मजबूत किया है।
सरकार पहले ही चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को संशोधित करने का फैसला कर चुकी है। आंकड़ों के मुताबिक देश का राजकोषीय घाटा पूरे साल के लिए तय किए गए बजटीय लक्ष्य का 113.7 फीसदी तक पहुंच गया है।
सरकार का कहना है अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर है और मौजूदा वृद्धि दर में आगे भी मजबूती आएगी।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने कहा कि अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर है और विकास दर में वर्तमान तेजी यह दिखलाती हैकि सरकार द्वारा किए गए सुधार के पहलों का नतीजा दिखना अब शुरू हो गया है।
लेकिन असली चुनौती अब सरकार के सामने इस घाटे को काबू में करने की होगी।
साफ शब्दों में कहा जाए तो अब सरकार को अपने खर्च में भारी कटौती करनी पड़ेगी ताकि घाटे के लक्ष्य को जीडीपी का 3.5 प्रतिशत रखा जा सके।
गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने पहले 3.2 फीसदी घाटे का लक्ष्य रखा था लेकिन बजट में इसे बढ़ाकर अब 3.5 फीसदी किया जा चुका है।
विशेषज्ञों की माने तो अब सरकार के लिए अपने खर्च में कटौती करना बेहद मुश्लिक होगा और ऐसा किए जाने की स्थिति में अर्थव्यवस्था को नुकसान उठाना पड़ सकता है, जिसके नतीजे अगली तिमाही के आंकड़ों को प्रभावित कर सकते हैं।
मूडीज ने जारी किया अनुमान
वहीं अमेरिकी रेटिंग एजेंसी मूडीज ने 2018 में भारत की अर्थव्यवस्था के 7.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ने का अनुमान जताया है।
मूडीज की तरफ से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2018 में जहां भारत की जीडीपी 7.6 फीसदी रहेगी वहीं 2019 में यह 7.5 फीसदी हो सकती है।
एजेंसी की यह रिपोर्ट नोटबंदी और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में रिकवरी के संकेत के बाद आई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, 'ऐसे कुछ संकेत है, जो यह बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2016 की नोटबंदी और पिछले साल शुरू किए गए जीएसटी की वजह से पैदा हुए नकारात्मक असर से उबरने में सफल रही है।'
रिपोर्ट बताती है कि 2018-19 के लिए पेश किए गए बजट में वैसे उपाय किए गए हैं जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान कर सकता है और जिन्हें नोटबंदी से गहरा धक्का लगा था।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था के यह सभी पहलू अभी भी पूरी तरह से नोटबंदी के झटके से उबर नहीं पाए हैं।
मूडीज की रिपोर्ट बताती है, 'जैसा कि हम पहले भी कह चुके हैं कि बैकों के पुनर्पूंजीकरण से कुछ समय बाद क्रेडिट ग्रोथ में तेजी आएगी और इससे ग्रोथ को मदद मिलेगी।'
बाजार की रहेगी नजर
मजबूत जीडीपी आंकड़े शेयर बाजार के लिए मजबूत ट्रिगर का काम करेंगे। हालांकि बढ़ता घाटा निवेशकों को सतर्क रुख अख्तियार करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स (एलटीसीजी) लगाए जाने के बाद से भारतीय शेयर बाजार के लिए वैश्विक और घरेलू ट्रिगर नकारात्मक रहे हैं।
ऐसे में जीडीपी के शानदार आंकड़े बाजार की रफ्तार को मजबूती दे सकता है।
और पढ़ें: 2018 में 7.6 फीसदी जीडीपी तो 2019 में 7.5 फीसदी की दर से आगे बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था : मूडीज
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Source : Abhishek Parashar