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अमेरिका-भारत की व्यापारिक नीतियों पर ट्रंप की नजर टेढ़ी, ले सकते है कड़ा फैसला

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के देश को घाटे से उबारने के लिए व्यापारिक नीतियों को सख्त करने पर विचार कर रहे है।

Updated on: 13 Feb 2017, 06:13 PM

highlights

  • अमेरिका-भारत की व्यापारिक नीतियों में बदलाव होने की संभावना 
  • लंबे समय से एशियाई देशों के घाटे की भरपाई कर रहा है अमेरिका 
  • 12 देशों के  ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप से बाहर आ गया अमेरिका 

नई दिल्ली:

अमेरिका की बदलती व्यापारिक नीतियों का प्रभाव भारत पर भी पड़ सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के देश को घाटे से उबारने के लिए व्यापारिक नीतियों को सख्त करने पर विचार कर रहे है।

ट्रंप की नीतियों से फिलहाल भारत, मलेशिया और वियतनाम जैसे देशों को कोई खतरा नहीं है। लेकिन आशंका है कि ये राहत ज्यादा समय नहीं रहेगी। गौरतलब है कि अमेरिका को इन सभी देशों के साथ व्यापार करने में घाटा उठाना पड़ रहा है।

अमेरिका पहले ही 12 देशों के साथ ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप से बाहर आ चुका है। जिससे जापान, चीन और साउथ कोरिया की नीतियों पर प्रभाव पड़ेगा। अमेरिका से इन देशों के आयात पर भारी कर लगाने के कारण विकास पर प्रभाव पड़ेगा। जापान, चीन और साउथ कोरिया इस नीति का का विरोध कर रहे हैं।

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ट्रंप के नेशनल ट्रेड काउंसिल के प्रमुख पीटर नवारो और कॉमर्स सेक्रेटरी के लिए प्रस्तावित विलबर रॉस ने एक पेपर लिखा था। जिसमें अमेरिका की धीमी विकास गति के कारण को ट्रेड गैप बताया गया।

सिंगापुर स्थित एशियाई ट्रेड सेंटर कंसल्टेंसी के कार्यकारी निदेशक देबोराह एल्म्स के अनुसार,'बीते दशकों में वैस्विक मंदी के बीच अमेरिका को उन एशियाई देशों के साथ कारोबार में बड़ा घाटा उठाना पड़ा है जो अमेरिका में बड़ी मात्रा में एक्सपोर्ट करते हैं और अमेरिका प्रति वर्ष इस ट्रेड डेफिसिट के नुकसान को वहन करता है।'

भारत-अमेरिका व्यापार नीति
भारत-अमेरिका के साथ डब्ल्यूटीओ और 2005 की ट्रेड पॉलिसी के तहत व्यापार होता है। ये व्यापार 2005 में $29 बिलियन से बढ़कर 2015 में $69 बिलियन हो गया है। भारत को आईटी सेवा क्षेत्र, टेक्सटाइल और महंगे रत्नों के व्यापार में बड़ा मुनाफा होता है।

हांलाकि इन सबके बीच ट्रंप और मोदी के बीच गर्मजोशी का रिश्ता है। राष्ट्रपति बनने के बाद मोदी पांचवे विश्व नेता है, जिन्हें ट्रंप ने फोन किया था। व्हाइट हाउस के अनुसारइस बातचीत में व्यापारिक मुद्दों की चर्चा नहीं हुई थी।

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