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भारतीय नागरिकों की तरफ से पेटेंट आवेदन अर्जियों में इजाफा: आर्थिक सर्वेक्षण

भारतीय नागरिकों की तरफ से पेटेंट आवेदन अर्जियों में इजाफा: आर्थिक सर्वेक्षण

Updated on: 31 Jan 2022, 04:15 PM

चेन्नई:

बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बजाए भारतीय नागरिकों की ओर से पेटेंट के लिए दायर किए जा रहे आवेदनों में इजाफा हो रहा है। आर्थिेक सर्वेक्षण 2021-22 में यह जानकारी दी गई है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से सोमवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि पेटेंट दायर करने वाले भारतीयों की संख्या वर्ष 2010-11 में जहां मात्र 20 प्रतिशत थी वह 2016-17 में बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई और 2020-21 में यह 40 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) पर कम खर्च, प्रक्रियात्मक देरी और जटिलताओं, अपर्याप्त पेटेंट परीक्षकों और निर्णय लेने के लिए समय सीमा की कमी के बावजूद बहु-राष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) के मुकाबले अधिक भारतीय नागरिक अब पेटेंट के लिए आवेदन कर रहे हैं। इसके फलस्वरूप वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत की रैंकिंग 2015-16 के 46 के मुकाबले 2021 में 81वें स्थान पर हो गई है।

यह एक उल्लेखनीय प्रगति है, लेकिन चीन, अमेरिका, जापान और कोरिया में दिए गए पेटेंट की तुलना में भारत में दिए गए पेटेंट की संख्या अभी भी बहुत कम है। विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) के अनुसार 2020 के लिए चीन, अमेरिका, जापान, कोरिया में दिए गए पेटेंट की संख्या क्रमश: 5.30 लाख, 3.52 लाख, 1.79 लाख, और 1.35 लाख थी।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि दूसरी ओर, भारत में दिए गए पेटेंट की संख्या 2020-21 के दौरान 28,391 थी। देश में 2010-11 में दायर पेटेंट की संख्या 39,400 से बढ़कर 2016-17 में 45,444 हो गई है और 2020-21 में यह 58,502 हो गई । इसी अवधि के दौरान भारत में प्रदान किए गए पेटेंट की संख्या 7,509 से बढ़कर 28,391 हो गई है।

आर्थिक सर्वेक्षण बताता है कि शोध एवं विकास संबंधी गतिविधियों पर भारत का कम धनराशि खर्च करता है जो 2020 में इसके सकल घरेलू उत्पाद का 0.7 प्रतिशत थी। यही तथ्य पेटेंट फाइलिंग की कम संख्या का एक कारण है।

इसके अलावा, प्रक्रियागत देरी और अन्य जटिलताएं शामिल हैं। देश में पेटेंट प्राप्त करने में अंतिम निर्णय के लिए औसत लंबित अवधि वर्ष 2020 तक 42 महीने थी। यह संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, कोरिया और जापान के लिए 20.8, 20, 15.8 और 15 महीनों की तुलना में बहुत अधिक है।

सर्वेक्षण के अनुसार, 2020 में भारत में पेटेंट परीक्षकों की संख्या 615 थी, जबकि चीन में 13,704, अमेरिका में 8,132 और जापान में यह संख्या 1,666 रही।

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि इसकी वजह से प्रथम जांच परीक्षा रिपोर्ट (एफईआर) प्राप्त करने में अनावश्यक देरी से पूरी प्रक्रिया मे अधिक विलंब होता है।

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