GST डालेगी ऑफिस से मिलने वाली सुविधाओं पर भी चोट, लंच,पिक-ड्रॉप पर भी टैक्स संभव
जीएसटी लागू होने के बाद कर्मचारियों को निजी कंपनी से मिलने वाले कई टैक्स बेनेफिट भी टैक्स दायरे में आ सकते हैं।
नई दिल्ली:
जीएसटी लागू होने के बाद कर्मचारियों को निजी कंपनी से मिलने वाले कई टैक्स बेनेफिट भी टैक्स दायरे में आ सकते हैं। ख़बरों के मुताबिक अब कंपनी की ओर से कर्मचारियों को मिलने वाली निजी सुविधाएं भी टैक्स के दायरे में आ सकती है।
अगर किसी कर्मचारी को कंपनी की ओर से मिलने वाली फ्री गुड्स एंड सर्विसेज़ का एक तय राशि से ऊपर इस्तेमाल की जाती हैं तो उन पर भी जीएसटी लागू होगा। इसके अलावा जीएसटी के बाद जीवन और स्वास्थ्य बीमा सहित कर्मचारियों को मिलने वाली विभिन्न सुविधाओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध नहीं होगा।
एक अंग्रेजी अख़बार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक जीएसटी सभी गुड्स एंड सर्विस पर लगने वाला टैक्स है ऐसे में निजी कंपनी की ओर से कर्मचारियों को मिलने वाली विभिन्न सुविधाएं (सप्लाई ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज़) भी जीएसटी के दायरे में आ जाएंगी।
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इसमें एक राहत यह मिली है कि सालाना आधार पर अगर कंपनी अपने कर्मचारियों को 50 हज़ार रुपये तक का 'गिफ्ट' देती है तो उसे सप्लाई ऑफ गुड्स एंड सर्विस के दायरे में नहीं रखा जाएगा यानि यह जीएसटी के दायरे से बाहर रहेगी।
केपीएमजी इंडिया के सचिन मेनन के मुताबिक 'कर्मचारियों को कंपनी की ओर से मिलने वाली ऐसी सुविधाएं जो उसे दी जाने वाली कॉस्ट टू कंपनी पैकेज के अंदर शामिल नहीं है अब जीएसटी के दायरे में आ सकती है।'
कॉस्टू टू कंपनी ढांचे में कर्मचारियों को मिलने वाला फ्री लंच, कार ड्रॉप्स, बच्चों की पढ़ाई के लिए दी जाने वाली स्कॉलरशिप आदि शामिल है।
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चार्टेड एकाउंटेट और इनडायरेक्ट टैक्स एक्सपर्ट सुनील गाभावाला के मुताबिक के मुताबिक, 'विवादास्पद प्रश्न यह है कि क्या एक निश्चित सुविधा का प्रावधान 'सामानों और सेवाओं की आपूर्ति' है या क्या यह रोजगार अनुबंध संबंधी दायित्व से उत्पन्न कर्मचारियों को लाभ का प्रावधान है?'
इनका मानना है कि, कर्मचारियों को कंपनी की ओर से मिलने वाली कुछ सुविधाएं, जैसे घर वापसी पर कर्मचारियों को छोड़ने के लिए शेयर्ड कार या कैफेटेरिया में मिलने वाले भोजन के लिए छूट मिलनी चाहिए और इस प्रावधान यानि जीएसटी के दायरे से बाहर रखना चाहिए।
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