वस्तु एवं सेवा कर यानि जीएसटी की मुश्किलों को कम करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें प्रावधानों में नरमी की तैयारी कर रही हैं। इसके लिए केंद्र व राज्य सरकारों के बीच हुई जीएसटी की पिछली बैठक में सहमति बनी है कि नई व्यवस्था के तह्त 2 करोड़ रुपये की कर चोरी ज़मानती अपराध में शामिल की जाएगी।
जीएसटी काउंसिल की इस बैठक में तय हुआ है कि किसी भी व्यापारी द्वारा की गई दो करोड़ रुपये तक की टैक्स चोरी में तत्काल जमानत मिल सकेगी। एक अधिकारी के मुताबिक, 'ऐसे मामले जिनमें कर चोरी दो करोड़ रुपये से अधिक नहीं है, उनमें जीएसटी कानून के उल्लंघन के लिए गिरफ्तार व्यक्ति को तत्काल जमानत मिल सकेगी।'
अधिकारी ने जानकारी दी कि, 'जीएसटी में दंड के प्रावधान भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में इसी तरह के अपराधों के प्रावधान से नरम होंगे।' गौरतलब है कि आईपीसी 1860 के तह्त जालसाजी और धोखाधड़ी गैर जमानती अपराध हैं। इसका मतलब यह है कि ऐसे मामलों में जमानत सिर्फ अदालत से मिल सकती है।
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इतनी ही नहीं, अन्य अपराधों जैसे गलत 'इनपुट टैक्स क्रेडिट' या रिफंड लेना, दस्तावेज जमा कराने में विफल रहना आदि में भी गिरफ्तारी नहीं होगी और सिर्फ वित्तीय जुर्माना लगेगा। पहले जीएसटी के संशोधित मसौदे में यह अभियोजन के लिए सूचीबद्ध थे।
सेवा कर मामले में 50 लाख रुपये से अधिक का कर सरकार के पास जमा नहीं कराने पर गिरफ्तारी का प्रावधान है। हालांकि, उत्पाद शुल्क कानून में ऐसे डिफॉल्ट की स्थिति आयुक्त को गिरफ्तारी का प्रावधान लागू करने का अधिकार दिया गया है।
पीडब्ल्यूसी के प्रमुख (अप्रत्यक्ष कर) प्रतीक जैन ने कहा कि संशोधित आदर्श जीएसटी कानून के तहत गिरफ्तारी प्रावधान से व्यापारियों को बेवजह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि, 'शुरुआत में कम से कम दो साल के लिए अपराधों के लिए दंड के प्रावधान नरम होने चाहिए क्योंकि जीएसटी एक नई कर व्यवस्था है और व्यापारियों को इस कानून को समझने में समय लगेगा।
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Source : News Nation Bureau