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GST टैक्स फ्रेंडली नहीं, सरकार सिर्फ प्रचार कर रही है: बॉम्बे हाई कोर्ट

बॉम्बे हाई कोर्ट ने जीएसटी पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि यह टैक्स फ्रेंडली नहीं है, भले ही केंद्र सरकार ने इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया हो।

Updated on: 13 Feb 2018, 08:16 AM

नई दिल्ली:

वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) को जहां एक तरफ सरकार क्रांतिकारी कदम बताते आई है वहीं दूसरी ओर बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसे केंद्र सरकार का पब्लिसिटी स्टंट बताया है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने जीएसटी पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि यह टैक्स फ्रेंडली नहीं है, भले ही केंद्र सरकार ने इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया हो।

जस्टिस एस सी धर्माधिकारी और भारती डांगरे की एक बेंच ने कहा, 'जीएसटी जैसे टैक्स का काफी प्रचार किया गया और इसे लोकप्रिय बताया गया। इस जश्न का कोई मतलब नहीं है। संसद का विशेष सत्र बुलाकर या मंत्रिमंडल की विशेष बैठकों से करदाताओं के लिए कोई मतलब नहीं हैं जब तक कि वे वेबसाइट और पोर्टल को आसानी से नहीं चला पाते। यह सिस्टम टैक्स अनुकूल नहीं है।'

बेंच ने इस तरह की सख्त टिप्पणी रोबोट और ऑटोमेशन सामग्री बनाने वाली कंपनी अबीकोर एंड बेनजेल टेक्नोवेल्ड की याचिका पर सुनवाई करते हुए की है।

याचिकाकर्ता ने कहा था कि वह जीएसटी नेटवर्क के ऑनलाइन पोर्टल को एक्सेस कर पाने में असक्षम है जिसके कारण ई-वे बिल को निकालना, टैक्स जमा करना और सामानों को किसी भी जगह भेजना संभव नहीं हो पा रहा है।

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इस पर हाई कोर्ट की बेंच ने कहा कि जीएसटी के खिलाफ इस तरह की शिकायतों के साथ विभिन्न अदालतों में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं।

साथ ही कोर्ट ने कहा, 'देश के सम्मान और प्रतिष्ठा के लिए इसे सुधारने की जरूरत है। हम आशा करते हैं कि ऐसी याचिकाएं अब कम होगी और अदालत को इस नए टैक्स कानून को लागू कराने के लिए नहीं कहा जाएगा।'

बेंच ने कहा कि उम्मीद है कि केंद्र सरकार जागे और इसे सुधारने के लिए सही कदम उठाए। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि इस याचिका के जवाब में 16 फरवरी तक जवाब दाखिल करे।

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