GST का फायदा लोगों तक पहुंचाने के लिए केंद्र ने एंटी प्रॉफीटियरिंग अथॉरिटी के गठन को दी मंजूरी
जीएसटी में किये गए बदलाव के बाद अब मोदी कैबिनेट ने एंटी प्रॉफीटियरिंग अथॉरिटी (एनएए) के गठन को मंजूरी दी है। इससे व्यापारियों की मुनाफाखोरी पर नज़र रखी जा सकेगी।
highlights
- एंटी प्रॉफीटियरिंग अथॉरिटी के गठन को केंद्र ने मंजूरी दी
- उत्पादों की जीएसटी रेट का फायदा लोगों को देने के लिए उठाया कदम
- एनएए के गठन से व्यापारियों की मुनाफाखोरी पर लगेगी लगाम
नई दिल्ली:
जीएसटी में किये गए बदलाव के बाद अब मोदी कैबिनेट ने एंटी प्रॉफीटियरिंग अथॉरिटी (एनएए) के गठन को मंजूरी दे दी है। इससे व्यापारियों की मुनाफाखोरी पर नज़र रखी जा सकेगी।
कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह जानकारी देते हुए कहा कि जीएसटी का स्लैब बदला गया है और दरें कम होने के बाद भी व्यापारी इनका फायदा ग्राहक को नहीं देता। ऐसे में इससे मुनाफाखोर व्यापारियों पर नकेल कसी जा सकेगी।
जीएसटी स्लैब में बदलाव कर सरकार ने 200 से अधिक वस्तुओं पर टैक्स की दरों को कम कर दिया है। लेकिन इसका फायदा लोगों तक पहुंचे इसकी निगरानी के लिये सरकार ने जीएसटी के तहत ही मुनाफाखोरी निरोधक प्राधिकरण (ऐंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी-NAA) का गठन किया है।
पत्रकारों से बात करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'नेशनल एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी भारत के ग्राहकों के लिए एक बीमा है। अगर कोई ग्राहक महसूस करे कि उत्पाद दरों में कटौती का फायदा नहीं मिल रहा है तो वो अथॉरिटी में शिकायत दर्ज करा सकता है।'
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह इस बात को सुनिश्चित करता है कि सरकार आम आदमी को जीएसटी के कार्यान्वयन के लाभ सुनिश्चित करने के लिए सभी संभावित कदम उठाने के लिए पूर्ण प्रतिबद्ध है।
अगर कारोबारी जीएसटी का लाभ ग्राहकों को नहीं पहुंचाते हैं तो अथॉरिटी के पास कारोबारी का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार होगा। लेकिन यह उल्लंघन करने वाले के खिलाफ लिया जाने वाला आखिरी कदम होगा।
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इससे पहले बुधवार को केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने भी कारोबारियों को सख़्त आदेश देते हुए कहा है कि जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) परिषद द्वारा 10 नवंबर को 200 उपभोक्ता सामानों पर कर की दरों में किए गए बदलाव के बाद ग्राहकों को उसका फायदा देने के लिए कारोबारी उत्पादों पर नई एमआरपी लगाएं।
राम विलास पासवान ने कहा था कि कारोबारी उत्पादकों को घटी हुई एमआरपी के साथ पुरानी एमआरपी भी लगाएं ताकि जीएसटी दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों को मिल सके और वो उसे समझ सके।
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