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संसद का विशेष अधिवेशन कर देश में जीएसटी शुक्रवार आधी रात से लागू हो जाएगा और देश में एक नई टैक्स प्रणाली लागू हो जाएगी। आज़ाद भारत के इतिहास में ये सबसे बड़ा कर सुधार होगा।
लेकिन ये प्रणाली ऐसे ही लागू नहीं हो रही है। इसको लागू करने की कोशिश और विरोध का एक लंबा इतिहास रहा है।
इसके लागू किये जाने के कार्यक्रम में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस नहीं शामिल होगी। साथ ही जेडी (यू), वाम दल, टीएमसी और दूसरे कई विपक्षी दलों ने बहिष्कार करने का फैसला लिया है।
बीजेपी जो इस वक्त जो सत्ता में है वो खुद यूपीए की तरफ से लाए गए जीएसटी कानून का विरोध कर रही थी। यहां तक कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश के फेडेरल स्ट्रक्चर पर हमला करार दिया था।
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एक वक्त ऐसा भी था जब बीजेपी ने इसके संसद में पारित होने को लेकर समस्याएं खड़ी की थी। ये अलग बात है कि वो सत्ता में आने के बाद इसे लागू करवाने के लिये जी जान लगा रही है।
यूपीए सरकार के दौरान जीएसटी के लिए गठित राज्यों के वित्त मंत्रियों की समिति की बैठक में बीजेपी शासित राज्यों के वित्त मंत्री नुकसान की भरपाई को लेकर इसका विरोध कर रहे थे। तत्कालीन मनमोहन सरकार ने इसे मान लिया और उसके बाद बीजेपी ने कहा कि जीएसटी को लागू करना काफी रिस्की है और समानांतर टैक्स प्रणाली को विकल्प के तौर पर रखा जाए।
बीजेपी की इस मांग को त्तकालीन वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने मानने से इनकार कर दिया था। साथ ही कहा था कि जब असफलता का सारा भार केंद्र लेने को तैयार है तो बीजेपी की यह मांग तर्कसंगत नहीं लगती।
केंद्र की सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने जीएसटी को लागू करने के लिये कोशिश में लग गई। लेकिन कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दल इसका विरोध करने लगे। टीएमसी, लेफ्ट, जेडीयू ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया।
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कांग्रेस की कुछ मांगें थीं जिनमें तीन प्रमुख थीं। पहला जीएसटी दर की अधिकतम सीमा का उल्लेख होना चाहिए। दूसरा वस्तुओं के एक राज्य से दूसरे राज्य में आवाजाही पर प्रस्तावित एक प्रतिशत अतिरिक्त कर खत्म करना और तीसरा राज्यों के बीच विवाद सुलझाने के लिए न्यायिक समिति का गठन करना शामिल था।
सरकार ने कांग्रेस की कुछ मांगों को मान लिया। साथ ही दूसरे विपक्षी दलों के मान जाने के बाद कांग्रेस ने भी जीएसटी का समर्थन करने का फैसला ले लिया।
1 जुलाई से जीएसटी लागू हो जाने के बाद सभी राज्यों में एक समान टैक्स लगेगा और इससे उत्पादकों और बिक्रेताओं को सहूलियत होगी। सरकार और आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है देश के विकास को गति मिलेगी।
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Source : Pradeep Tripathi