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जीएसटी 2.0 Photograph: (NN/Meta AI)
(रिपोर्ट- पुनीत पुष्कर) : 2017 में वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद भारत ने कर सुधारों के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया था. अब, बीजेपी सरकार ने इसे और सरल, पारदर्शी और जन-केंद्रित बनाकर जीएसटी 2.0 के रूप में एक नया अध्याय शुरू किया है. यह न केवल भारत का सबसे व्यापक कर सुधार है, बल्कि यह आम नागरिकों, किसानों, गृहिणियों, युवाओं और उद्यमियों के लिए आर्थिक राहत का एक मजबूत आधार भी बन गया है.
पुरानी, जटिल और बहु-स्तरीय कर प्रणाली को समाप्त कर सरकार ने इसे केवल दो स्लैब वाली संरचना में सरल कर दिया है: आवश्यक वस्तुओं पर 5%, सामान्य वस्तुओं और सेवाओं पर 18%, और केवल लक्जरी वस्तुओं और हानिकारक उत्पादों पर 40%. यह बदलाव न केवल कर प्रणाली को पारदर्शी बनाता है, बल्कि आर्थिक बोझ को कम करके भारत को वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
आम जनता के लिए राहत
जीएसटी सुधारों का सबसे बड़ा लाभ आम नागरिकों, विशेष रूप से गरीब और मध्यम वर्ग को मिला है. रोजमर्रा की जरूरी वस्तुएं जैसे दूध, चावल, आटा, चाय, दही, किताबें और भारतीय रोटी अब या तो शून्य-रेटेड हैं या केवल 5% कर के दायरे में हैं. यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ की नीति को साकार करता है.
पहले, यूपीए सरकार के दौर में आटा, चावल और चाय जैसी बुनियादी वस्तुओं पर वैट लगाया जाता था, जो गरीब और मध्यम वर्ग के लिए आर्थिक बोझ बनता था. लेकिन अब, बीजेपी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी भारतीय परिवार अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने में आर्थिक दबाव महसूस न करे.
इन सुधारों ने गृहिणियों और परिवारों के लिए भी कई राहतें दी हैं. साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट, साइकिल, रेफ्रिजरेटर, टीवी और वॉशिंग मशीन जैसे घरेलू सामानों पर कर की दरों में कमी से ये उत्पाद अब अधिक किफायती हो गए हैं. यह सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो हर भारतीय परिवार के जीवन को आसान और समृद्ध बनाने की दिशा में काम कर रही है. इसके विपरीत, कांग्रेस सरकार ने मध्यम वर्ग को कर मशीन के रूप में देखा, जबकि बीजेपी ने उनकी आकांक्षाओं को समझकर उन्हें राहत प्रदान की.
स्वास्थ्य और कल्याण पर जोर
स्वास्थ्य सेवाओं को किफायती बनाना इन सुधारों का एक प्रमुख पहलू है. सभी स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियों को कर-मुक्त करने और जीवन रक्षक दवाओं पर जीएसटी को शून्य करने का निर्णय बीजेपी सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है. यह कदम संकट के समय में भारतीय परिवारों को आर्थिक और मानसिक राहत प्रदान करता है. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ेगी और मध्यम वर्ग के लिए चिकित्सा व्यय का बोझ कम होगा. यह कदम न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करता है, बल्कि भारत के नागरिकों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्तिकरण
भारत की रीढ़ कहे जाने वाले किसानों को इन सुधारों में विशेष स्थान दिया गया है. ट्रैक्टर, सिंचाई प्रणालियों, उर्वरकों और कीटनाशकों पर जीएसटी को 5% तक कम करने से खेती की लागत में कमी आएगी. यह न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने में भी मदद करेगा. यह कदम पीएम मोदी के ‘किसान सम्मान’ के दृष्टिकोण को साकार करता है, जो ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है. इसके अलावा, उर्वरक उद्योग में उलट कर्तव्य संरचना को ठीक करने से इस क्षेत्र को नई ऊर्जा मिली है, जो किसानों के लिए और अधिक लाभकारी साबित होगा.
युवाओं और ऑटोमोबाइल क्षेत्र को बढ़ावा
भारत की युवा आबादी के लिए ये सुधार एक वरदान साबित होंगे. छोटी कारों और मोटरसाइकिलों पर जीएसटी में कटौती से ये वाहन पहली बार खरीदने वालों के लिए किफायती हो गए हैं. इससे न केवल युवाओं की आकांक्षाएं पूरी होंगी, बल्कि ऑटोमोबाइल क्षेत्र में बढ़ती मांग से लाखों रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे. यह पीएम मोदी के ‘युवा सशक्तिकरण’ के दृष्टिकोण का एक और उदाहरण है. ऑटोमोबाइल उद्योग को बढ़ावा देने से न केवल आर्थिक विकास को गति मिलेगी, बल्कि भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता भी बढ़ेगी.
बुनियादी ढांचे और एमएसएमई को प्रोत्साहन
जीएसटी सुधारों ने बुनियादी ढांचे के विकास को भी गति दी है. सीमेंट पर जीएसटी को 28% से घटाकर 18% करने से घरों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की लागत कम होगी. यह न केवल लाखों रोजगार सृजित करेगा, बल्कि पीएम मोदी के ‘राष्ट्र-निर्माण’ के मिशन को और मजबूती देगा. साथ ही, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को सरलीकृत अनुपालन, एआई-संचालित निगरानी और तेजी से रिफंड के माध्यम से सशक्त किया गया है. यह कदम कांग्रेस सरकार के तहत लंबे समय तक उपेक्षित छोटे व्यवसायों को नवाचार और विस्तार का अवसर प्रदान करता है.
महिला उद्यमियों को नई ऊर्जा
महिला उद्यमियों के लिए सरलीकृत जीएसटी और आसान ऋण पहुंच ने नए अवसर खोले हैं. महिला-नेतृत्व वाले एमएसएमई अब रोजगार सृजन और नवाचार में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं, जो पीएम मोदी के ‘नारी शक्ति’ के दृष्टिकोण को साकार करता है. कपड़ा उद्योग में सुधारों ने भी इस क्षेत्र को नई गति दी है, जिससे लाखों महिलाओं को रोजगार के अवसर मिले हैं.
वैश्विक प्रतिस्पर्धा और आर्थिक विकास
जीएसटी सुधारों से भारत की लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आई है, जिससे भारतीय सामान वैश्विक बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बन गए हैं. विशेषज्ञों का अनुमान है कि ये सुधार जीडीपी में 1-1.2% की वृद्धि और मुद्रास्फीति में 1% से अधिक की कमी लाएंगे. जब वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी से जूझ रही है, भारत 7.8% की वृद्धि दर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है. यह पीएम मोदी के सक्षम नेतृत्व और बीजेपी सरकार की दूरदर्शी नीतियों का परिणाम है.
पारदर्शिता और न्याय के लिए जीएसटीएटी
बीजेपी सरकार दिसंबर 2025 तक जीएसटी अपीलीय ट्रिब्यूनल (जीएसटीएटी) को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है. यह कदम विवादों के तेजी से समाधान, न्याय और पारदर्शिता को सुनिश्चित करेगा, जिससे पुरानी सरकारों के तहत होने वाले उत्पीड़न का अंत होगा. यह व्यापारियों और उद्यमियों के लिए एक बड़ा कदम है, जो अब आसानी से अपने मुद्दों का समाधान कर सकेंगे.
आत्मनिर्भर भारत की ओर
ये सुधार आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे बीजेपी सरकार के प्रमुख मिशनों के साथ पूरी तरह से तालमेल में हैं. लागत कम करने और लालफीताशाही को समाप्त करने के माध्यम से, पीएम मोदी ने साबित किया है कि सुधार केवल नारे नहीं, बल्कि वास्तविक कार्रवाई का परिणाम हैं. अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार केवल कर प्रणाली के बारे में नहीं हैं; वे पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्र-निर्माण का एक अभिन्न हिस्सा हैं.
ये सुधार हर नागरिक को राहत, हर उद्योग को बढ़ावा और भारत को 2047 तक ‘विकसित भारत’ के सपने के करीब ले जा रहे हैं. यह बीजेपी सरकार का वह साहसिक और ऐतिहासिक कदम है, जो भारत को वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा.
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