Advertisment

नोटबंदी और GST के झटके से उबरी अर्थव्यवस्था, 2017-18 की दूसरी तिमाही में 6.3% हुई GDP

भारतीय अर्थव्यवस्था नोटबंदी और और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के झटके से उबरने में सफल रही है। मौजूदा वित्त वर्ष (2017-18) की दूसरी तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ती नजर आ रही है।

author-image
Abhishek Parashar
एडिट
New Update
नोटबंदी और GST के झटके से उबरी अर्थव्यवस्था, 2017-18 की दूसरी तिमाही में 6.3% हुई GDP

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

Advertisment

भारतीय अर्थव्यवस्था नोटबंदी और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के झटके से उबरने में सफल रही है। मौजूदा वित्त वर्ष (2017-18) की दूसरी तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ती नजर आ रही है।

सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 6.3 फीसदी रही जबकि पहली तिमाही में यह आंकड़ा 5.7 फीसदी रहा था, जो पिछले तीन सालों की सबसे कमजोर ग्रोथ रेट थी।

आंकड़ा जारी करते हुए भारत के मुख्य सांख्यिकीविद टीसीए अनंत ने कहा, 'पहली तिमाही के 5.7 फीसदी के मुकाबले दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.3 फीसदी रही। करीब पांच तिमाही की गिरावट के बाद जीडीपी रिकवर करने में सफल रही है और यह उत्साहजनक है।'

हालांकि भारत की ग्रोथ रेट अभी भी चीन से कमजोर बनी हुई है। दूसरी तिमाही में चीन की जीडीपी 6.8 फीसदी रही है।

दूसरी तिमाही में जीडीपी को मैन्युफैक्चरिंग की मजबूती से सहारा मिला है। सितंबर में मैन्युफैक्चरिंग की ग्रोथ रेट 7 फीसदी रही जबकि इलेक्ट्रिसिटी, गैस और जल आपूर्ति की ग्रोथ रेट 7.6 फीसदी आंकी गई। वहीं ट्रेड होटल्स, ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशन की ग्रोथ रेट 9.9 फीसदी रही। 

हालांकि इस दौरान निर्माण क्षेत्र की हालत में कोई सुधार देखने को नहीं मिला।

वहीं इस दौरान जीवीए (ग्रॉस वैल्यू ऐडेड) 5.6 फीसदी से बढ़कर 6.1 फीसदी हो गया। गौरतलब है की जीएसटी के लागू होने के बाद इनडायरेक्ट टैक्स संबंधी अनिश्चितता की वजह से जीवीए को अर्थव्यवस्था की स्थिति का सही संकेतक माना जा रहा है।

सरकार को मिला सहारा

मजबूत आर्थिक आंकड़ा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जीएसटी की आलोचना से निपटने का मौका देगा। गौरतलब है कि कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी जीएसटी को पर्याप्त तैयारी किए बिना लागू किए जाने को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर रहे हैं।

पहली तिमाही में जीडीपी में आई गिरावट की सबसे बड़ी वजह जीएसटी को लागू किया जाना रहा था। गौरतलब है कि देश में जीएसटी को वैसे समय में लागू करने का फैसला लिया गया, जब अर्थव्यवस्था पहले से ही नोटबंदी से बुरी हालत में थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा करते हुए 500 और 1000 रुपये के नोटों को बैन कर दिया था, जिससे छोटे और मझोले कारोबारियों को जबरदस्त नुकसान पहुंचा था।

इसके साथ ही अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतर गई, जिसमें नकदी की बड़ी भूमिका थी।

और पढ़ें: GDP डेटा से पहले सहमा बाजार, 450 अंक टूटा सेंसेक्स

अर्थव्यवस्था अभी इस झटके से संभल भी नहीं पाई थी कि मोदी सरकार ने एक जुलाई 2017 से जीएसटी को लागू करने का ऐलान कर दिया, जिसका सबसे बड़ा असर छोटे और मझोले कारोबारियों पर पड़ा।

यही वजह रही कि सरकार ने बाद में इन कारोबारियों को राहत देने के लिए न केवल जीएसटी रिटर्न की अवधि में बढ़ोतरी की, बल्कि कंपोजिशन स्कीम की लिमिट को भी बढ़ा दिया।
पहले जहां कारोबारियों को हर महीने रिटर्न फाइल करना होता था, वहीं अब यह अवधि बढ़ाकर तीन महीने कर दी गई है।

इसके साथ ही कंपोजिशन स्कीम के तहत 75 लाख रुपये के टर्नओवर की सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दिया गया है। वहीं एक अन्य बड़े फैसले में रिवर्स चार्ज की व्यवस्था को अगले साल 31 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

अर्थव्यवस्था में रिकवरी से जुड़ा डेटा वैसे समय में सामने आया है, जब कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की रेटिंग को बढ़ाकर BAA2 किया है।

गौरतलब है कि पिछले 14 सालों से मूडीज ने भारत को निवेश के लिहाज से सबसे कम रेटिंग BAA दी थी।

मूडीज इनवेस्टर सर्विस ने जारी बयान में कहा था, 'रेटिंग में सुधार का फैसला आर्थिक और संस्थागत सुधारों में जारी प्रगति को देखते हुए लिया गया है। जैसे-जैसे वक्त बीतता जाएगा, भारत की वृद्धि दर में इजाफा होगा। इस बात की भी संभावना है कि मध्यम अवधि में सरकार पर कर्ज का भार भी कम होता जाए।'

मूडीज की रिपोर्ट से पहले भी आर्थिक सुधारों को लेकर सरकार को बड़ी सफलता हाथ लगी थी। आर्थिक और संरचनागत सुधारों के दम पर भारत विश्व बैंक की 'ईज ऑफ डूइंग' रिपोर्ट में एक साल में 30 पायदान की छलांग लगाते हुए पहली बार शीर्ष 100 में जगह बनाने में सफल रहा।

राजकोषीय घाटे ने बढ़ाई चिंता

गौरतलब है कि मजबूत जीडीपी आंकड़ों ने बढ़ते राजकोषीय घाटे से जुड़ी आशंकाओं को कम करते हुए बाजार और निवेशकों को भरोसा दिया है।

अक्टूबर महीने में देश का राजकोषीय घाटा बजटीय अनुमान का 96.1 फीसदी तक पहुंच चुका है।

सीजीए (कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स) के आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर महीने में देश का राजकोषीय घाटा 5.25 ट्रिलियन डॉलर रहा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 79.3 फीसदी था। राजकोषीय घाटा खर्च और आय के बीच का अंतर होता है।

मौजूदा वित्त वर्ष के लिए सरकार ने जीडीपी के मुकाबले 3.2 फीसदी राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा है। जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह लक्ष्य 3.5 फीसदी था, जिसे सरकार पूरा करने में सफल रही थी।

और पढ़ें:जीएसटी कलेक्शन में अक्टूबर में 10 हजार करोड़ रुपये की गिरावट

HIGHLIGHTS

  • मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आए जीडीपी के आंकड़ों ने सरकार के साथ निवेशकों को बड़ी राहत दी है
  • नोटबंदी और जीएसटी के झटके से उबरने में सफल रही देश की अर्थव्यवस्था 6.3 फीसदी की दर से आगे बढ़ी

Source : Abhishek Parashar

GDP In Q2 Indian Economy Growth Rate GDP In September Quarter GDP
Advertisment
Advertisment
Advertisment