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फाइल फोटो
कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि देश की अर्थव्यस्था को पांच हजार अरब डॉलर तक ले जाने का विचार नेक है, लेकिन सरकार के पास इस लक्ष्य को हासिल करने का न तो कोई खाका है और न ही दिशा है. लोकसभा में ‘वित्त (संख्यांक 2) विधेयक-2019’ पर चर्चा की शुरुआत करते हुए सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अगर मौजूदा समय में भारत तीन हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने वाला है तो यह आजादी के बाद कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों की सरकारों में हुए सतत विकास का परिणाम है.
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सरकार पर संसद के अधिकार क्षेत्र में दखल देने का आरोप
उन्होंने आरएसपी सदस्य एन के प्रेमचंद्रन की ओर से वित्त विधेयक के संदर्भ में परिपाटी और संसद के विशेषाधिकार का सम्मान नहीं करने के आरोप का समर्थन किया. चौधरी ने आरोप लगाया कि यह सरकार संसद के अधिकार क्षेत्र में दखल दे रही है. इस पर जदयू के राजीव रंजन सिंह और संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि चौधरी इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं. तब, चौधरी ने कहा कि वह कल्पना में भी आसन पर सवाल नहीं कर सकते, वह सिर्फ सरकार को चुनौती दे रहे हैं.
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व्यवस्था के खिलाफ टिप्पणी को रिकॉर्ड से हटाया जाएगा
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वह देखेंगे और उनकी दी गई व्यवस्था के खिलाफ कोई टिप्पणी होगी तो उसे रिकॉर्ड से हटाया जाएगा. बाद में चौधरी ने अपनी बात जारी रखते हुए आरोप लगाया कि सरकार उपकर और अधिभार लगाकर पैसे का संग्रह कर रही है, लेकिन इसमें राज्यों को उपेक्षित रख रही है. यह सहकारी संघवाद की भावना के विरूद्ध है. उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ के विफल रहने का दावा करते हुए कहा कि मोदी सरकार में योजनाओं का सिर्फ नामकरण हुआ और उसका जमकर प्रचार हुआ, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं उतरा.
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चौधरी ने आजादी से पहले अंग्रेजी शासन व्यवस्था द्वारा भारत के संसाधनों की लूट और आजादी के समय देश की खराब हालत का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार के लोगों को यह पता होना चाहिए कि भारत के विकास का सफर कहां से शुरू हुआ है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने 2014 में 1800 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था विरासत में सौंपी थी और मोदी सरकार के पहले पांच साल में उसमें 900 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई. कांग्रेस नेता ने कहा कि पिछली सरकार के योगदान को स्वीकर करना चाहिए और अतीत को ‘कैंसल्ड चेक’ के तौर पर नहीं देखना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि पांच अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था एक अच्छा विचार है और हमारी भी भावना इसी के पक्ष में है, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए सवाल यह है कि इस लक्ष्य तक कैसे पहुंचा जाएगा. उन्होंने आरोप लगाया कि इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आठ फीसदी से अधिक विकास दर होनी चाहिए जो फिलहाल नहीं है. इस सरकार के पास कोई दिशा और खाका भी नहीं है. चौधरी ने कहा कि बेरोजगारी चरम पर है और निर्यात घट गया है, लेकिन सरकार अपनी वाहवाही में लगी हुई है.