विदेशों में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार का बड़ा फैसला, सीएफएस (CFS) योजना का समय बढ़ाया

केंद्र सरकार ने विदेशों में रणनीतिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए भारतीय कंपनियों को नीलामी में समर्थन करने को लेकर सीएफएस योजना को पांच साल के लिए यानी 2023 तक बढ़ा दिया है।

केंद्र सरकार ने विदेशों में रणनीतिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए भारतीय कंपनियों को नीलामी में समर्थन करने को लेकर सीएफएस योजना को पांच साल के लिए यानी 2023 तक बढ़ा दिया है।

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saketanand gyan
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विदेशों में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार का बड़ा फैसला, सीएफएस (CFS) योजना का समय बढ़ाया

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सीएफएस योजना को 2023 तक बढ़ाया (फाइल फोटो)

केंद्र सरकार ने विदेशों में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए भारतीय कंपनियों को मदद देने के लिए बुधवार को रियाअती वित्तीय योजना (सीएफएस) को पांच साल के लिए बढ़ा दिया है यानी इसे 2023 तक कर दिया गया है।

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केंद्रीय मंत्रिमंडल के एक बयान के मुताबिक, 'सीएफएस के तहत भारत सरकार विदेशों में रणनीतिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए नीलामी में भारतीय कंपनियों को 2015-16 से मदद कर रही है।'

बयान के अनुसार, 'चुंकि इस योजना का उद्देश्य लगातार प्रासंगिक है इसलिए इस योजना को 2018-2023 तक बढ़ाने का का फैसला किया गया है।'

अगर कोई भारतीय कंपनी प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के लिए अनुबंध पाने में सफल होती है तो सरकार एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ इंडिया (एक्सिम बैंक) को काउंटर गारंटी और 2 फीसदी का इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन मदद करती है ।

2018 से 2023 तक पहले से मौजूद प्रोजेक्ट के लिए इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन सपोर्ट (आईइएस) भुगतान को लेकर वित्तीय अनुमान करीब 625 करोड़ रुपये का होगा।

वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ली गई।

इससे पहले, ऐसी कंपनियां जिसमें शेयर होल्डर कम से कम 75 फीसदी भारतीयों का हो वे इस योजना के लिए योग्य थे। अब इस योजना को उदार कर दिया गया है और बिना स्वामित्व वाले भारतीय कंपनी भी इस योजना का लाभ ले सकेगी।

बयान के मुताबिक पहले सीएफएस के तहत विदेशों में भारतीय कंपनियां बड़े प्रोजेक्ट के लिए नीलामी के योग्य नहीं हो पाती थी क्योंकि वित्तीय कीमत उनके लिए काफी ज्यादा होती थी और चीन, जापान, यूरोप और अमेरिका जैसे देशों के बोली लगाने वाले अधिक पैसे लगाकर योग्य होते थे।

सीएफएस योजना के तहत विदेश मंत्रालय भारत के रणनीतिक हितों को देखते हुए खास प्रोजेक्ट को चुनती है और इसे आर्थिक मामलों के विभाग को भेजती है।

पीयूष गोयल ने कहा कि इस योजना के उदारीकरण से निर्यात को बढ़ावा मिलने के अलावा रोजगार सृजन और मेक इन इंडिया पहल के लिए फायदेमंद साबित होगा।

वर्तमान में सीएफएस एक्सिम बैंक के द्वारा संचालित हो रहा है जो रियायती वित्तीय प्रदान करने के लिए मार्केट से संसाधनों को इकट्ठा करता है।

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Source : News Nation Bureau

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