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प्रतीकात्मक तस्वीर( Photo Credit : फाइल)
भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की रफ्तार में आई हालिया कमी पर विपक्ष की आलोचना झेल रही मोदी सरकार को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) ने दिवाली की खुशखबरी दी है. IMF ने अपने एक अनुमान में कहा है कि 6.1 फीसदी से बढ़कर 7 फीसदी तक पहुंच जाएगी. बता दें IMF ने भारत के विकास दर को लेकर अप्रैल में लगाए गए अनुमान में 1.2 फीसदी की कटौती कर दी थी. सिर्फ 6.1 फीसदी रहने की संभावना जताई थी. बता दें IMF ने 2019 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि (economy growth) दर का अनुमान घटाकर 3 प्रतिशत कर दिया है.
IMF का कहना है कि यह तेजी मौद्रिक नीतियों (Monetary Policy) और कॉरपोरेट टैक्स (Corporate Tax) में कटौती की वजह से होगी. IMF के एशिया पैसिफिक डिपार्टमेंट के उप-निदेशक जॉनथन ऑस्ट्री ने कहा, 'हमें लगता है कि अलगे वित्त वर्ष तक भारतीय अर्थव्यवस्था 6.1 फीसदी से बढ़कर 7 फीसदी तक पहुंच जाएगी. हमें लगता है कि मौद्रिक नीति समेत सरकार के कई फैसलों का असर देखने को मिलेगा.'
Just released: October regional economic outlook for Asia and Pacific region. Asia is projected to grow at 5.0 percent in 2019 and 5.1 percent in 2020. Read more here: https://t.co/72XKwSQRPm#IMFAsiapic.twitter.com/asVeDANigI
— IMF (@IMFNews) October 23, 2019
ऑस्ट्री ने कहा कि हाल ही में कॉरपोरेट टैक्स में कटौती, वित्तीय सेक्टर (Financial Sector) के संकट से निपटने और ग्रोथ सेक्टर (Growth Sector) से निपटने को लेकर सरकार द्वारा उठाए गए कदम की वजह से आने वाले दिना में भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार देखने को मिलेंगे. पिछली कुछ तिमाही के दौरान भारत में आर्थिक सुस्ती को लेकर उन्होंने कहा कि यह हम सबके लिए सरप्राइज था. उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट और नियामकीय वातावरण, गैर-बैंकिंग वित्तीय सेक्टर, ग्रामीण क्षेत्रों में कमजोरी की वजह से यह सुस्ती देखने को मिली.
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उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में आर्थिक वृद्धि को सतत बनाये रखने के लिये एकीकरण जैसी चीजें जरूरी हैं. ‘‘इसके लिये न केवल वस्तु व्यापार की जरूरत है बल्कि सबसे महत्वपूर्ण सेवा व्यापार की भी आवश्यकता है. यह भारत और दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के लिये वृद्धि का मजबूत इंजन उपलब्ध करा सकता है.’’
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आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने सेवा क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता अर्जित की है. जहां 2000 में यह 6.3 प्रतिशत था वह 2010 में 17.8 प्रतिशत हो गया. यह वैश्विक स्तर परा क्षेत्र के लिये सबसे बड़ी वृद्धि है.