भारत की वास्तविक जीडीपी 2021-22 में सालाना आधार पर 9.5 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है। एसबीआई इकोरैप की एक रिपोर्ट में शनिवार को यह जानकारी दी गई।
यह रिपोर्ट राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए राष्ट्रीय आय का पहला अग्रिम अनुमान यानी एडवांस इस्टीमेट जारी करने के एक दिन बाद आई है।
तदनुसार, उस अनुमान में कहा गया है कि मार्च, 2022 में समाप्त चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9.2 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। सरकार द्वारा जारी पहले एडवांस इस्टीमेट में यह बात सामने आई है।
कोरोनावायरस की दूसरी लहर से पैदा अव्यवस्थाओं के बाद धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौटने के साथ जुलाई-सितंबर के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ी है।
स्टैस्टिटिक्स एंड प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन ने एक बयान में कहा, रियल जीडीपी या कांस्टैंट प्राइस (2011-12) पर 2021-22 में जीडीपी 147.54 करोड़ रुपये का अनुमान है, जबकि 31 मई, 2021 को जारी वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी की प्रोविजनल इस्टीमेट 135.13 लाख करोड़ रुपये रहा था। 2021-22 के दौरान वास्तविक (रियल) जीडीपी में 9.2 फीसदी की ग्रोथ रहने का अनुमान है, जबकि 2020-21 में इसमें 7.3 फीसदी की कमी दर्ज की गई थी।
वहीं, 2021-22 में वास्तविक जीवीए 8.6 फीसदी की ग्रोथ के साथ 135.22 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जबकि 2020-21 में 124.53 लाख करोड़ रुपये था।
इकोरैप की रिपोर्ट में कहा गया है, हम मानते हैं कि एनएसओ का अनुमान कंजर्वेटिव साइड पर है, क्योंकि कंस्ट्रक्शन के लिए वित्त वर्ष 2022 की दूसरी छमाही के लिए गणना की गई जीडीपी वृद्धि (माइनस) 0.9 प्रतिशत है, वित्त वर्ष 2022 की दूसरी छमाही के लिए सर्विस मात्र 2 प्रतिशत पर हैं।
बयान के अनुसार, हम अभी भी मानते हैं कि वित्त वर्ष 2022 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद लगभग 9.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। इस बीच, इस अनुमान में केवल दो महीने का शेल्फ-लाइफ है और इसे केवल बजट अंकगणित के लिए एक इनपुट के रूप में उपयोग किया जाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, आगे चलकर, भले ही बढ़ता कोविड संक्रमण गतिशीलता को प्रभावित कर सकता है, फिर भी आर्थिक गतिविधियों के ज्यादा प्रभावित होने की उम्मीद नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया है, भारत के साथ-साथ दुनिया भर में मामले काफी बढ़ रहे हैं। हालांकि, अब तक के अध्ययनों से पता चलता है कि मौजूदा ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा वैरिएंट की तुलना में कम गंभीर है। डेटा भी इस तथ्य की पुष्टि करता है।
बयान के अनुसार, नए मामलों की संख्या अक्टूबर 2021 में 1.3 करोड़ से बढ़कर दिसंबर 2021 में लगभग दोगुनी होकर 2.5 करोड़ हो गई, जबकि मौतों की संख्या स्थिर रही (अक्टूबर की तुलना में दिसंबर में सिर्फ 2,200 अधिक मौतें हुईं)।
इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि संशोधित सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए, भले ही हम सरकार द्वारा दिसंबर 2021 की शुरूआत में घोषित अतिरिक्त खर्च पर विचार करें, सरकार का राजकोषीय घाटा अभी भी 15.88 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद का 6.8 प्रतिशत है।
इकोरैप के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 के लिए, चालू वित्त वर्ष से राजकोषीय समेकन 30-40 बीपीएस तक सीमित रहना चाहिए।
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Source : IANS