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खाद्य सब्सिडी 400 फीसदी बढ़कर 5.25 लाख करोड़ रुपये हुई

खाद्य सब्सिडी 400 फीसदी बढ़कर 5.25 लाख करोड़ रुपये हुई

Updated on: 31 Jan 2022, 06:35 PM

नई दिल्ली:

वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान प्रमुख सब्सिडी में वृद्धि के कारण राजस्व व्यय में लगभग 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में कहा गया है कि प्रमुख सब्सिडी ने 2020-21 में 2019-20 की तुलना में 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की है।

यह वृद्धि खाद्य सब्सिडी में लगभग 400 प्रतिशत की वृद्धि के कारण 2019-20 में 1.09 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2020-21 में 5.25 लाख करोड़ रुपये हो गई। खाद्य सब्सिडी बिल में भारी वृद्धि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के कारण हुई, जिसे कोविड-19 के लिए आर्थिक प्रतिक्रिया के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था और ऐसा भारतीय खाद्य निगम के बकाया खाद्य सब्सिडी से संबंधित ऋण के लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये के पूर्व भुगतान के कारण संभव हुआ।

महामारी वर्ष 2020-21 के दौरान बनाई गई व्यय नीति व्यय की प्राथमिकता पर केंद्रित थी। महामारी के प्रारंभिक चरण में सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि आवश्यक गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराया जाए और पुनप्र्राथमिकता के लिए दुर्लभ संसाधनों का संरक्षण किया जाए।

वर्ष के बाद के दिनों में स्वास्थ्य संबंधी प्रतिबंधों में ढील के साथ अर्थव्यवस्था पर सबसे अधिक सकारात्मक प्रभाव वाले क्षेत्रों में हुए खर्च पर ध्यान केंद्रित किया गया। सर्वेक्षण में कहा गया है कि महामारी राहत के बाद सरकार ने उत्पादक घरेलू पूंजीगत व्यय को अधिकतम प्राथमिकता दी है, जिसका अर्थव्यवस्था पर उच्च गुणक प्रभाव पड़ा है।

महामारी के मद्देनजर अतिरिक्त व्यय आवश्यकताओं के कारण 2020-21 में सरकार के राजस्व व्यय में सालाना आधार पर 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई।

वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान पर व्यय को अतिरिक्त वित्तीय स्थान के निर्माण के लिए हेडरूम तक सीमित रखा गया है। वित्तवर्ष 2020-21 में पीए के दौरान वेतन मद में हुए व्यय में गिरावट का कारण बड़े पैमाने पर सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ते की अतिरिक्त किस्त को फ्रीज करना रहा।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.