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पहले नौ माह में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर क्षेत्र में FDI 24.4 अरब डॉलर

वर्क फ्रॉम होम की वजह से डिजिटलीकरण की रफ्तार तेज हुई है और एआई का इस्तेमाल बढ़ा है. इससे कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्रों के लिए व्यापक संभावनाएं पैदा हुई हैं.

Updated on: 07 Mar 2021, 02:22 PM

नई दिल्ली:

देश के कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्र में चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले नौ माह (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का प्रवाह करीब चार गुना होकर 24.4 अरब डॉलर पर पहुंच गया. उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. इस पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इस क्षेत्र में 6.4 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया था. पूरे वित्त वर्ष 2019-20 में इस क्षेत्र को 7.7 अरब डॉलर का विदेशी निवेश मिला था. विशेषज्ञों ने कहा कि महामारी की वजह से घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) की वजह से डिजिटलीकरण की रफ्तार तेज हुई है और एआई का इस्तेमाल बढ़ा है. इससे कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्रों के लिए व्यापक संभावनाएं पैदा हुई हैं.

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शार्दुल अमरचंद एंड मंगलदास एंड कंपनी के भागीदार अरविंद शर्मा ने कहा, 'इस क्षेत्र के मूल्य का भारी दोहन हो रहा है. क्षेत्र में बड़ा विदेशी निवेश आया है.' सिंघी एडवाइजर्स के भागीदार बिमल राज ने कहा कि क्षेत्र में एफडीआई का प्रवाह बढ़ा है. वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक्स और डिजिटल क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है. भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियां इस स्थिति का लाभ उठाने के लिए काफी अच्छी स्थिति में हैं. चालू वित्त वर्ष के पहले नौ में कई अन्य क्षेत्रों में भी विदेशी निवेश में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. निर्माण (बुनियादी ढांचा) गतिविधियों में इस दौरान 7.2 अरब डॉलर और फार्मास्युटिकल्स में 1.24 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया.

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वहीं दूरसंचार क्षेत्र में विदेशी निवेश का प्रवाह घटकर 35.7 करोड़ डॉलर रह गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 4.3 अरब डॉलर रहा था. वाहन क्षेत्र में भी एफडीआई 2.5 अरब डॉलर से घटकर 1.18 अरब डॉलर रह गया. अप्रैल-दिसंबर के दौरान देश में सबसे अधिक 15.71 अरब डॉलर का एफडीआई सिंगापुर से आया. इसके बाद अमेरिका से 12.82 अरब डॉलर, संयुक्त अरब अमीरात से 3.91 अरब डॉलर, मॉरीशस से 3.47 अरब डॉलर, केमैन आइलैंड से 2.53 अरब डॉलर का एफडीआई आया. देश में कुल एफडीआई इक्विटी प्रवाह 40 प्रतिशत के उछाल से 51.47 अरब डॉलर पर पहुंच गया.