वित्त मंत्रालय के एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018-19 में भारतीय अर्थव्यवस्था के रफ्तार धीमी पड़ गयी है. वित्त मंत्रालय की मंथली इकॉनोमिक रिपोर्ट सामने आई है. इस रिपोर्ट को आर्थिक मामलों के विभाग ने तैयार किया है.
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रिपोर्ट के मुताबिक अर्थव्यवस्था में मंदी के लिए private consumption, fixed investment के ग्रोथ में सुस्ती को जिम्मेदार ठहराया गया है. रिपोर्ट में एक्सपोर्ट में सुस्ती को भी जिम्मेदार ठहराया गया है. रिपोर्ट में कृषि क्षेत्र में स्लो डाउन को चुनौती बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र में ग्रोथ को बरकरार रखना सरकार के लिए चुनौती है. गौरतलब है कि ये रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है. जब देशभर में आम चुनाव हो रहे हैं.
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वहीं दूसरी ओर भारत में बीते महीने रोजगार कारोबारी रुझान कमजोर रहने के कारण विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि की रफ्तार सुस्त रही है. यही कारण है कि विनिर्माण क्षेत्र के प्रदर्शन का समग्र का सूचक निक्केई विनिर्माण क्षेत्र परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अप्रैल में 51.8 दर्ज किया गया है, जबकि मार्च में यह 52.6 पर था. करोबारी सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र की प्रगति की रफ्तार आठ महीने में सबसे सुस्त और 14 साल के सर्वेक्षण के इतिहास के औसत से भी कमजोर रही है. पीएमआई के 50 से ऊपर का आंकड़ा आर्थिक गतिविधि में तेजी या संवृद्धि का सूचक होता है, जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा मंदी का सूचक होता है.
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Source : News Nation Bureau