logo-image

अर्थव्यवस्था (Economy) में मंदी को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) का बड़ा बयान

निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा कि देश हित में हर कदम उठाये जा रहे हैं. अगर आप विवेकपूर्ण तरीके से अर्थव्यवस्था पर गौर करें तो फिलहाल आर्थिक वृद्धि दर जरूर नीचे आयी है लेकिन यह मंदी नहीं है, ऐसी स्थिति कभी नहीं आएगी.

Updated on: 28 Nov 2019, 11:25 AM

दिल्ली:

वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बुधवार को राज्यसभा में अर्थव्यवस्था (Economy) के प्रबंधन और स्थिति को लेकर विपक्ष की आलोचनाओं का बचाव किया. उन्होंने इसके लिये पूर्व कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के दौरान वृहत आर्थिक आंकड़ों की तुलना करते हुए कहा कि आर्थिक वृद्धि जरूर धीमी हुई है लेकिन अर्थव्यस्था कभी मंदी में नहीं गयी. राज्यसभा में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर अल्पकालीन चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि सरकार ने अपने पहले बजट के बाद जो कदम उठाये हैं, उसका सकारात्मक परिणाम आना शुरू हो गया है.

यह भी पढ़ें: फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस और थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में क्या है अंतर, जानें हर बारीकी

प्रत्यक्ष कर और जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी
वाहन जैसे कुछ क्षेत्रों में सुधार के संकेत दिख रहे हैं. सरकार के राजस्व की स्थिति को लेकर चिंता को दूर करते हुए उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में पिछले साल के इसी अवधि की तुलना में प्रत्यक्ष कर और जीएसटी संग्रह दोनों में वृद्धि हुई है. वित्त मंत्री उच्च सदन में अपना बातें पूरी कर पाती इससे पहले ही उनके जवाब से असंतोष जताते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और वाम दलों के सदस्यों ने सदन से बर्हिगमन कर दिया. उनका कहना था कि वित्त मंत्री अर्थव्यवस्था के सामने खड़े मसलों के समाधान के बजाए अपना बजट भाषण पढ़ रही हैं. सीतारमण ने कहा कि देश हित में हर कदम उठाये जा रहे हैं. अगर आप विवेकपूर्ण तरीके से अर्थव्यवस्था पर गौर करें तो फिलहाल आर्थिक वृद्धि दर जरूर नीचे आयी है लेकिन यह मंदी नहीं है, ऐसी स्थिति कभी नहीं आएगी.

यह भी पढ़ें: किसानों के लिए खुशखबरी, 1 हेक्टेयर में 1,400 क्विंटल टमाटर की पैदावार

उसके बाद उन्होंने 2014 के बाद से नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के कार्यकाल और पूर्व संप्रग दो के पांच साल के कार्यकाल के दौरान जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि के आंकड़े दिए. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति लक्ष्य से कम है, आर्थिक विस्तार बेहतर है और अन्य वृहत आर्थिक संकेतकों की स्थिति भी ठीक-ठाक है. उल्लेखनीय है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में संकट और उसका प्रभाव खुदरा कारोबार करने वाली कंपनियों, वाहन कंपनियों, मकान बिक्री और भारी उद्योग पर पड़ा जिससे देश की आर्थिक वृद्धि दर कमजोर हुई है. देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 5 प्रतिशत रही और 2013 के बाद से सबसे कम है. विभिन्न एजेंसियों का अनुमान है कि दूसरी तिमाही में इसमें और गिरावट आ सकती है. यह स्थिति तब है जब कंपनी करों में कटौती समेत कई प्रोत्साहन उपाय किये गये हैं.

यह भी पढ़ें: Gold Price Today 28 Nov 2019: दिग्गज जानकारों की राय में आज MCX पर सोने-चांदी की कैसी रहेगी चाल, जानें यहां

सीतारतण ने कहा कि पिछले दो वित्त वर्ष से आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट फंसे कर्ज के कारण बैंकों के बही-खातों पर दबाव तथा दूसरी तरफ कर्ज में डूबी कंपनियों का परिणाम है और इसके लिये पूर्व संप्रग सरकार की कर्ज बांटने की नीति जिम्मेदार थी. उन्होंने विपक्ष की इस आलोचना को खारिज कर दिया कि पांच जुलाई को पेश उनका बजट धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था की चिंताओं का समाधान करने में विफल रहा और इसलिए उन्होंने बजट पारित होने के एक महीने के भीतर कई उपायों की घोषणा की. वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक समीक्षा में बैंकों में पूंजी डाले जाने की जरूरत और सुधारों का जिक्र था और इसकी जरूरत को समझते हुए इसका उल्लेख बजट भाषण में भी किया गया। सीतारमण ने कहा कि उसी बजट भाषण के बाद बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली गयी और इसी के चलते हाल में बैंकों के ऋण ग्राहक तक पहुंच बनाने के कार्यक्रमों में 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के ऋण दिये गये. उन्होंने कहा कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता का परिणाम दिख रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था में नरमी नकदी की समस्या का परिणाम नहीं है बल्कि कोष प्रवाह की समस्या है.

यह भी पढ़ें: सस्ते घर की चाहत रखने वालों के लिए खुशखबरी, मोदी सरकार ने लिया बड़ा फैसला

31 मार्च 2020 तक शुद्ध रूप से 6.63 लाख करोड़ रुपये कर संग्रह का लक्ष्य
सीतारमण ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के बारे में कहा कि 31 मार्च 2020 तक शुद्ध रूप से 6.63 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध कर संग्रह का लक्ष्य है, इसमें से अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 3.26 लाख करोड़ संग्रह किये गये। मासिक आधार पर जीएसटी संग्रह बढ़ रहा है. प्रत्यक्ष कर संग्रह भी अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 4.8 प्रतिशत बढ़कर 6.86 लाख करोड़ रुपये रहा. उन्होंने कहा कि जीडीपी अनुपात के रूप में प्रत्यक्ष कर संग्रह 2014-15 में 5.5 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 5.98 प्रतिशत पर पहुंच गया. सीतारमण ने कहा, ‘‘2009-14 के दौरान एफडीआई प्रवाह 189.5 अरब डॉलर रहा. उसके बाद भाजपा नीत सरकार के पांच साल के कार्यकाल में यह 283.9 अरब डॉलर रहा.

यह भी पढ़ें: एयर इंडिया को बेचने के लिए आकर्षक सौदे की पेशकश करेगी मोदी सरकार

विदेशी मुद्रा भंडार संप्रग-दो के समय 304.2 अरब डॉलर था जो भाजपा शासन में 412.6 अरब डॉलर पहुंच गया. उन्होंने कहा कि क्या हर चीज नीचे आ रही हैं? बिल्कुल नहीं. हम क्षेत्रों के समक्ष चुनौतियों से अवगत हैं. हम सुनिश्चित करेंगे कि इन समस्याओं का सकारात्मक समाधान हो. वित्त मंत्री के जवाब के बाद सभापति ने विपक्षी सदस्यों द्वारा सीतारमण के जवाब के बीच में ही सदन से वॉकआउट करने का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा करना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि सदस्य वॉकआउट करते रहे हैं किंतु उन्हें वित्त मंत्री का पूरा जवाब सुनना चाहिए था क्योंकि यह एक अति महत्वपूर्ण मुद्दा है.