Economy News: चीन में फैले कोरोना वायरस के बीच आयात और निर्यात (Import-Export) के सप्लाई चेन में चुनौतियां और अवसर को लेकर बड़ी बैठक होने जा रही है. केंद्रीय वित्तमंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की अध्यक्षता में आज बैठक होने जा रही है. इस बैठक में आर्थिक मामलों के सचिव, वित्त सचिव आदि मौजूद रहेंगे. बैठक में सीआईबीसी, सीबीडीटी अध्यक्ष, इंडस्ट्री बॉडी सीआईआई (CII), फिक्की (FICCI) और एसोचैम (ASSOCHAM) के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे.
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वहीं कस्टम विभाग के अधिकारी और बैंकिंग, बीमा, ऑटोमोबाइल, पेपर, इलेक्ट्रॉनिक, पेट्रोलियम, केमिकल, ऊर्जा, सोलर, नवीकरणीय ऊर्जा, पॉवर और फार्मा क्षेत्र के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे. बैठक के बाद 4:30 बजे केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगी.
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सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये संरचनात्मक सुधारों का उपयोग जरूरी: शक्तिकांत दास
रिजर्व बैंक (Reserve Bank-RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) दास ने कहा है कि मांग में सुधार और सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था (Economy) को गति देने के लिये संरचनात्मक सुधारों का उपयोग करना होगा. उन्होंने कहा कि 11 साल के न्यूनतम स्तर तक गिर गयी आर्थिक वृद्धि में अब सुधार के शुरुआती संकेत दिख रहे हैं. हालात में इस सुधार को लंबे समय तक बनाये रखने की जरूरत है. दास ने कहा कि चीन में कोरोना वायरस के प्रभाव पर हर नीति निर्माता को करीब से नजर रखने की जरूरत है ताकि उसके अनुसार उपयुक्त कदम उठाये जा सके.
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बजट में उठाए गए कदमों से अनुकूल आर्थिक माहौल बना: शक्तिकांत दास
आरबीआई गर्वनर ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण के 2020-21 के बजट (Budget 2020) और हाल के कदमों से मांग को पटरी पर लाने और खपत बढ़ाने का एक अनुकूल आर्थिक माहौल बना है. अब यह जरूरी है कि भूमि और श्रम सुधारों को आगे बढ़ाया जाए, कृषि विपणन में कार्य कुशलता लायी जाए तथा तथा कौशल विकास पर जोर हो. उन्होंने कहा कि आरबीआई ने 2019 की शुरूआत में आर्थिक वृद्धि में आने वाली नरमी को महसूस किया था और मुद्रास्फीति में नरमी से जो गुंजाइश बनी थी, उसका उपयोग कर लगातार पांच बार नीतिगत दर में कटौती की गयी थी.
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दास ने अर्थव्यवस्था में नरमी के कारणों के बारे में कहा कि कमजोर मांग के साथ साथ वैश्विक व्यापार और व्यवसाय में अनिश्चितता के चलते काराखानों की उत्पादन क्षमता का उपयोग का स्तर कम चल रहा है. इसके अलावा बैंकों के अवरुद्ध कर्जों तथा कंपनियों पर बढ़ते कर्ज के बोझ के चलते बैलेंस-शीट की जुड़वा समस्या बन गयी है.