वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने सरकार द्वारा आंकड़ों में हेराफेरी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुये कहा कि सरकार कोई भी आंकड़ा नहीं छुपा रही है. उन्होंने रक्षा बजट कम करने के पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम (P Chidambaram) के आरोपों पर पलटवार करते हुये कहा कि पिछली संप्रग सरकार में देश की सुरक्षा को उसके हाल पर छोड़ दिया गया. राज्यसभा में आम बजट पर चर्चा का जवाब देते हुये सीतारमण ने कहा कि किसी के लिये भी संसाधनों में कोई कटौती नहीं की गई है लेकिन मैं चर्चा में भाग लेने वाले सभी सदस्यों को आश्वस्त करना चाहती हूं कि सरकार हर किसी के साथ मिलकर काम करना चाहती है. हम चाहते हैं कि अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़े.
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रक्षा बजट कम होने पर विरोध होना चाहिए
सीतारमण ने हालांकि, पी. चिदंबरम का नाम नहीं लिया लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से वह उन्हीं के आरोपों का जवाब दे रही थी. पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने चर्चा में भाग लेते हुये कहा था कि ‘प्रमुख रक्षा अध्यक्ष’ को रक्षा क्षेत्र के लिये बजट आवंटन कम करने को लेकर विरोध करना चाहिये और इस मामले में उनकी पार्टी (कांग्रेस) समर्थन में खड़ी होगी. चिदंबरम के रक्षा बजट कम किये जाने के सवाल पर सीतारमण ने कहा कि पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में समूचे रक्षा मंत्रालय को लकवाग्रस्त कर दिया गया, भारत की सुरक्षा को उसके हाल पर छोड़ दिया गया, उनके पास हथियार और उपकरण नहीं थे यहां तक कि उनके पास बुलेटप्रूफ कपड़े तक उपलब्ध नहीं थे.
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वर्ष 2020- 21 के लिये रक्षा बजट 3.37 लाख करोड़ रुपये
वित्त मंत्री ने राफेल को लेकर सवाल उठाते हुये कहा, ‘‘राफेल का क्या हुआ? उन्होंने इसे क्यों नहीं खरीदा? भारत की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने के बाद यह अपने आप में अचंभित करने वाला है कि एक पूर्व मंत्री चाहता है कि रक्षा मंत्रालय विरोध करे. मैं यह देखकर सदमे में हूं कि किस प्रकार से शासन प्रशासन के साथ व्यवहार किया जा रहा है. वर्ष 2020- 21 के बजट में रक्षा क्षेत्र के लिये आवंटन में पिछले साल के मुकाबले मामूली वृद्धि की गई है. हालांकि, यह उम्मीद की जा रही थी कि सैन्य बलों के आधुनिकीकरण की लंबे समय से लटकी पड़ी मांग को पूरा करने के लिये इसमें उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है.
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वर्ष 2020- 21 के लिये रक्षा बजट 3.37 लाख करोड़ रुपये रखा गया है जबकि इससे पिछले साल इस मद में 3.18 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया. मोदी सरकार की पहली पारी में सीतारमण ने रक्षा मंत्रालय का कार्यभार भी संभाला था. सीतारमण ने सरकार द्वारा आंकड़ों में हेराफेरी के आरोपों पर कहा कि 2005- 06 और 2010-11 के दौरान हर साल तेल बांड जारी किए गए. उन्होंने जोर देकर कहा कि मोदी सरकार ने किसी भी खाते में कोई हेराफेरी नहीं की है. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर तब 1.4 लाख करोड़ रुपये यानी जीडीपी के 1.9 प्रतिशत तक तेल बांड जारी किये गये.
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आज भी हम इन बांड पर सालाना 9,900 करोड़ रुपये ब्याज का भुगतान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि तब की सरकार ने तेल सब्सिडी को तेल विपणन कंपनियों के खातों में डाल दिया ताकि सरकार के खाते साफ सुथरे दिखें और उन पर ज्यादा बोझ नहीं दिखाई दे. वहीं 2012 और 2013 के दौरान विदेशी निवेश में 36 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. देश से इस दौरान एफडीआई तेजी से बाहर निकल रहा था और वह भी तब जब अनुभवी डाक्टरों के हाथ में अर्थव्यस्था की कमान थी. सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में वित्तीय अनुशासन को हर समय कायम रखा गया है. उन्होंने अपने इस दावे के समर्थन में 2014- 15 से लेकर अब तक के वित्तीय घाटे के आंकड़ों को पढ़ा.