Finance Bill 2021: वित्त विधेयक 2021 को मिली संसद की मंजूरी
Finance Bill 2021: उच्च सदन में वित्त विधेयक 2021 पर बहस का जवाब देते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि भारत की ओर से अच्छे निवेश के चलते उन्हें नहीं लगता कि इसकी ग्रेड रेटिंग घटेगी.
highlights
- अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 के बीच 2.17 लाख करोड़ जीएसटी मुआवजा दिया गया
- वित्तवर्ष 2021 में राज्यों के लिए देय मुआवजा 77,636 करोड़ रुपये है: निर्मला सीतारमण
नई दिल्ली:
संसद (Lok Sabha) ने वित्तवर्ष 2022 के लिए सरकार के वित्तीय प्रस्तावों को प्रभावी करते हुए वित्त विधेयक 2021 (Finance Bill 2021) पारित कर दिया है, जिसके साथ ही राज्यसभा ने भी बुधवार को इसके लिए अपनी मंजूरी दे दी है. लोकसभा ने मंगलवार को विधेयक पारित कर दिया था. उच्च सदन में वित्त विधेयक 2021 पर बहस का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि भारत की ओर से अच्छे निवेश के चलते उन्हें नहीं लगता कि इसकी ग्रेड रेटिंग घटेगी. कम मुद्रास्फीति (महंगाई), उच्च सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि, विदेशी निवेश और कम राजकोषीय घाटे का हवाला देते हुए उन्होंने सरकार की ओर से अर्थव्यवस्था को संभाले जाने का बचाव किया. सीतारमण ने साथ ही कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वह कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ही थी, जिसने हमें एक आर्थिक गड़बड़ी के बीच छोड़ दिया था.
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मंत्री ने दावा किया कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के लिए संप्रग सरकार की प्रतिक्रिया ने उच्च मुद्रास्फीति को जन्म दिया. राज्यों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजे के संबंध में उन्होंने कहा कि वित्तवर्ष 2021 में राज्यों के लिए देय मुआवजा 77,636 करोड़ रुपये है. उन्होंने कहा कि अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 के बीच 2.17 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी मुआवजा दिया गया है और जीएसटी क्षतिपूर्ति की कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को जारी बैक टू बैक ऋण जनवरी 2021 तक 1.1 लाख करोड़ रुपये रहा है. वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि इस महीने मुआवजा कोष से जारी होने वाली क्षतिपूर्ति 30,000 करोड़ रुपये है.
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उनके भाषण में बंगाली लहजा भी सुनने को मिला. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के एक सदस्य के सवाल का जवाब देने के लिए बंगाली शब्दों का भी प्रयोग किया। हालांकि सदन में हंगामे के कारण वह काफी देर तक नहीं बोल सकीं. सीतारमण ने मंगलवार को लोकसभा में अपने जवाब में स्पष्ट किया कि भारत में आयकर का भुगतान करने वाली विदेशी कंपनियों पर बराबरी का शुल्क लागू नहीं होगा.
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