क्रिसिल रिसर्च ने कहा कि इस साल बेतहाशा बारिश के कारण खरीफ की बुवाई के पैटर्न को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
तदनुसार, जून-अंत से जुलाई के मध्य तक रुकने के बाद, दक्षिण-पश्चिम मानसून ने दीर्घावधि औसत (एलपीए) वर्षा में कमी को 12 जुलाई को 4 प्रतिशत से 8अगस्त को केवल 7 प्रतिशत तक बंद करने के लिए त्वरित किया।
इसके अलावा, भारत मौसम विज्ञान विभाग का पूवार्नुमान है कि शेष मौसम के लिए मानसून सामान्य रहेगा।
हालांकि, खरीफ की बुवाई को लेकर चिंता मुख्य रूप से वर्षा के असमान वितरण के कारण बनी हुई है।
रिकवरी चरण (13 जुलाई से शुरू) के दौरान, देश में 8 अगस्त को एलपीए की तुलना में 2 प्रतिशत कम बारिश हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर-पश्चिम भारत और दक्षिण प्रायद्वीप क्षेत्र में वर्षा की गतिविधि क्रमश- 11 प्रतिशत और 12 प्रतिशत अधिक थी।
मध्य और पूर्व और उत्तर-पूर्व क्षेत्रों में क्रमश: 4 प्रतिशत और 20 प्रतिशत कम बारिश हुई।
भारी बारिश ने कई किसानों को परेशान किया है। गुजरात, जो कुल मूंगफली और कपास के रकबे का 40 प्रतिशत और 20 प्रतिशत है, और ओडिशा, कुल धान रकबे का 8 प्रतिशत, 43 प्रतिशत के संचयी घाटे में है। इसके विपरीत, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और हरियाणा में अत्यधिक वर्षा हुई है।
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Source : IANS