नोटबंदी-GST से नहीं उबरी अर्थव्यवस्था, चालू वित्त वर्ष में 7% से नीचे ही रहेगी GDP: विशेषज्ञ
मौजूदा वित्त वर्ष में भी भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) और नोटबंदी का असर जारी रहेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7 फीसदी से नीचे रह सकती है।
highlights
- मौजूदा वित्त वर्ष में भी भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर जीएसटी और नोटबंदी का असर जारी रहेगा
- विशेषज्ञों के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7 फीसदी से नीचे रह सकती है
नई दिल्ली:
मौजूदा वित्त वर्ष में भी भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) और नोटबंदी का असर जारी रहेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7 फीसदी से नीचे रह सकती है।
8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का फैसला लेते हुए मोदी सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को बैन कर दिया था वहीं एक जुलाई 2017 को देश में जीएसटी लागू किया गया, जिसने सभी अप्रत्यक्ष करों की जगह ली।
एसबीआई रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्या कांति घोष के मुताबिक, 'मौजूदा वित्त वर्ष में देश की जीडीपी का 7 फीसदी को पार करना मुश्किल लगता है। हालांकि तीसरी और चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुधर सकती है।'
योजना आयोग (अब नीति आयोग) के पूर्व डिप्टी चेयरमैन मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था 6.2 से 6.3 फीसदी के बीच रह सकती है।
वहीं एक्सिस बैंक चीन इकनॉमिस्ट सुगता भट्टाचार्य ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में देश की जीडीपी 6.6-6.8 फीसदी रह सकती है।
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गौरतलब है कि 2016-17 में देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.1 फीसदी रही जबकि 2015-16 में यह दर 8 फीसदी थी।
हालांकि नोटबंदी के बाद देश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतरती नजर आई। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की जीडीपी 6 फीसदी से भी नीचे चली गई। हालांकि दूसरी तिमाही में इसमें कुछ सुधार हुआ और यह 5.7 फीसदी से बढ़कर 6.3 फीसदी हो गई।
एसबीआई की इस रिपोर्ट से पहले औद्योगिक संगठन एसोचैम ने 2017 में जीडीपी के 7 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान जताया था।
एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक अगले वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था 7 फीसदी की दर से आगे बढ़ सकती है वहीं मोदी सरकार के अगले आम बजट में खेती-किसानी को प्रमुखता मिलने की संभावना है।
औद्योगिक संगठन एसोचैम की तरफ से जारी रिपोर्ट में बताया गया है भारतीय अर्थव्यवस्था नोटबंदी और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के प्रभाव से उबरते हुए 7 फीसदी के ग्रोथ रेट को छू सकती है।
एसोचैम की तरफ से अगले साल 2018 के लिए जारी 'परिदृश्य' के मुताबिक लोकसभा चुनाव से पहले सरकारी नीतियां ग्रामीण क्षेत्रों की ओर झुकी होंगी और अर्थव्यवस्था 2018 में नोटबंदी और जीएसटी के प्रतिकूल असर को पार करते हुए सात फीसदी की दर पर पहुंच जाएगी।
गौरतलब है कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 6 फीसदी से भी नीचे फिसलकर 5.7 फीसदी हो गई थी, जो पिछले तीन सालों का न्यूनतम स्तर है।
हालांकि दूसरी तिमाही में जीडीपी बढ़कर 6.3 फीसदी हो गई। नोटबंदी के बाद कई रेटिंग एजेंसियां 2017-18 के लिए भारत के जीडीपी अनुमान में कटौती कर चुकी हैं।
और पढ़ें: 2018 में 7 फीसदी होगी GDP, खेती-किसानी पर झुका होगा आम बजट : एसोचैम
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