केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने निर्यात संवर्धन परिषदों (ईपीसी) से अगले साल 450-500 अरब डॉलर के निर्यात का आह्वान किया है।
वीडियो कॉन्फ्रेंन्सिंग के माध्यम से विभिन्न ईपीसी के प्रमुखों के साथ हुई मध्यावधि समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए गोयल ने नई विदेश व्यापार नीति को अंतिम रूप देने से पहले सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करने के निर्देश दिए हैं।
वित्तवर्ष 2021-22 की पहली छमाही में भारत से होने वाले निर्यात के 197 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंचने पर संतोष प्रकट करते हुए, गोयल ने कहा कि 48 प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने के साथ ही हम सही राह पर हैं।
गोयल ने कहा, हमारे निर्यातकों ने हम सभी भारतीयों को गौरवान्वित किया है। इस प्रकार हम अगले साल के लिए निर्यात लक्ष्य को बढ़ाकर 450-500 अरब डॉलर कर सकते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इंजीनियरिंग सामानों में काफी ज्यादा क्षमता है। वस्त्र निर्यात का लक्ष्य 100 अरब डॉलर होना चाहिए। गोयल ने सरकार द्वारा हाल में घोषित विभिन्न पीएलआई योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा, आपको देखना चाहिए कि हम ये योजनाएं लेकर आए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ब्रिटेन, यूएई, ओमान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ईयू, रूस और साउथ अफ्रीकन कस्टम्स यूनियन (एसएसीयू) सहित विभिन्न देशों और ब्लॉकों के साथ एफटीए पर बातचीत कर रही है। एसएसीयू में बोत्सवाना, लेसोथो, नामीबिया, दक्षिण अफ्रीका और स्वाजीलैंड शामिल हैं।
गोयल ने कहा, समान, निष्पक्ष और संतुलित व भारतीय निर्यातकों के हित में आपको अपनी चिंताओं को सामने रखना होगा। उन्होंने कहा कि ज्यादातर मुद्दे टैरिफ के बजाय बाजार पहुंच से संबंधित हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 अक्टूबर अष्टमी पर अपने सबसे ज्यादा महत्वाकांत्री इन्फ्रास्ट्रक्च र विकास के विजन- गति शक्ति कार्यक्रम का अनावरण करेंगे। गोयल ने निर्यात परिषदों के प्रमुखों को इस कार्यक्रम से वीसी के द्वारा जुड़ने और निर्यात क्षेत्रों से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्च र के मुद्दों के साथ भाग लेने के लिए आमंत्रित किया।
उन्होंने कहा, हाल में राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति का भी अनावरण किया गया है और निर्यातकों को अपनी चिंताओं के साथ आगे आना चाहिए।
मंत्री गोयल ने पॉलिमर की ऊंची वैश्विक कीमतों के मुद्दों और पर्यावरण कानूनों पर एक समान आवेदन, प्लास्टिक सेक्टर के लिए इनपुट पर भरोसा दिलाया कि वाणिज्य विभाग वर्जिन प्लास्टिक स्कै्रप के आयात को अनुमति देने और उससे संबंधित मुद्दों को पर्यावरण मंत्रालय के सामने रखेगा।
उन्होंने निर्यात परिषदों से उन निर्यातकों की पहचान करने और नाम बताने के लिए कहा, जिनके उत्पाद अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों पर खरे उतरने में नाकाम रहे हैं और खराब गुणवत्ता के कारण अक्सर खारिज हो जाते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बार-बार अनुस्मारक (रिमांडर) भेजने के बावजूद ईपीसी ने वैश्विक बाजारों में मेक इन इंडिया उत्पादों की छवि खराब करने वाले कुछ निर्यातकों की पहचान नहीं की है। उन्होंने कहा, गुणवत्ता से ही हमारे निर्यात का भविष्य निर्धारित होगा।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राज्यमंत्री (वाणिज्य एवं उद्योग) अनुप्रिया पटेल ने निर्यातकों को विभिन्न मंत्रालयों से जुड़ी उनकी चिंताओं के त्वरित समाधान का भरोसा दिलाया, जो निर्यात के विकास को नुकसान पहुंचा रही हैं। सचिव, वाणिज्य विभाग, बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी विचार-विमर्श में भाग लिया।
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Source : IANS