logo-image

छत्तीसगढ़ में गोबर से लिखी जा रही ग्रामीण इलाकों में आर्थिक समृद्धि की इबारत

छत्तीसगढ़ में गोबर से लिखी जा रही ग्रामीण इलाकों में आर्थिक समृद्धि की इबारत

Updated on: 16 Jan 2022, 11:50 AM

रायपुर:

गोबर के जरिए भी आर्थिक समृद्धि की इबारत लिखी जा सकती है, यह सुनने मे थोड़ा अचरज हो सकता है मगर छत्तीसगढ़ में ऐसा हो रहा है। यहां गोबर खरीदी से लेकर उसके जरिए रोजगार के असर दिलाकर नई इबारत लिखी जा रही है।

देश का कोई भी हिस्सा हो वहां आवारा मवेशी , सड़कों पर फैला गोबर एक बड़ी समस्या तो है ही साथ में रोजगार किसी चुनौती से कम नहीं है। इन तीनों समस्याओं के मुकाबले के लिए छत्तीसगढ़ में नवाचार किया गया। इसके तहत गोधन न्याय योजना की शुरूआत हुई। इसके तहत गौठान बनाए गए है। यह वह स्थान है जहां मवेशी दिन में लाए जाते है और उनके खाने के लिए चारा व पीने के लिए पानी सहित अन्य सुविधाएं मुहैया रहती हैं।

इस योजना के तहत दो रुपये किलो की दर से गोबर की खरीदी की जाती है। इस गोबर से जहां वर्मी कंपोस्ट बनाया जाता है तो वहीं दीए, अगरबत्ती व गोकाष्ट का निर्माण होता है। इससे जहां एक तरफ गोबर से पशुपालकों व गोबर संग्रहण करने वालों को दाम मिलता है तो वहीं रोजगार भी सुलभ हो रहा है।

सरकारी आंकड़े बताते है कि, राज्य में दो लाख 80 हजार से ज्यादा पशुपालकों का पंजीयन है, इनमें से लगभग दो लाख पशुपालकों ने गोबर बेचा, परिणाम स्वरुप 59 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की गई।

समितियों द्वारा खरीदे गए गोबर से 10 लाख 10555 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट बना है, चार लाख 31,701 क्विंटल सुपर कंपोस्ट बना है। यह विभिन्न समितियों के जरिए किसानों व सरकारी विभागों को उपलब्ध कराया गया है। इस खाद की कीमत 10 रुपये किलो है। अब तक 84 करोड़ की खाद का विक्रय किया जा चुका है। वहीं इसी गोबर से दीए, गमले, मूर्ति गोकाष्ट को बनाया हैं। इस काम से 48 करोड़ की आय हुई। वर्मी खाद बनाने के काम में लगी महिलाओं को 29 करोड़ से ज्यादा की राशि लाभांश के तौर पर वितरित की जा चुकी है। अन्य गतिविधियों से फायदा होने वाला अलग है। कुल मिलाकर इस काम में लगे लोगों को 100 करोड़ का लाभांश दिया जा चुका है।

जानकार बताते है कि गोधन योजना से जहां एक तरफ आवारा मवेशियों से फसलों को होने वाले नुकसान पर रोक लगी है तो वहीं गांव के लोगों को रोजगार मिला है। दुर्ग जिले के आगेसरा में पहाटिया के भोजराम यादव ने बताया कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से उन्होंने पिछले साल 27 हजार रुपए गोबर बेचकर प्राप्त किये। इस राशि से उन्होंने अपनी पत्नी के लिए 14 रुपये के कान का टाप्स खरीदकर दिए है। कुल मिलाकर गोधन योजना से मिली राशि ने पत्नी को यादगार उपहार देने का अवसर मिला है।

राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि गोधन न्याय योजना को हम मिशन मोड में संचालित कर रहे हैं, ताकि इसके जरिए गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से मार्केट की डिमांड के आधार पर प्रोडक्ट तैयार किए जाएं और उसकी मार्केटिंग से समूह को ज्यादा से ज्यादा लाभ हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गोबर से विद्युत उत्पादन की शुरूआत करने के बाद अब गोबर से प्राकृतिक पेंट के निर्माण की ओर हम बढ़ रहे हैं। बीते सवा सालों में गौठान आर्थिक रूप से मजबूत हुए हैं। गौठानों के जरिए स्वावलंबन के कार्यों में पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है। गौठानों में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना के कार्य में तेजी लाने के साथ ही महिला स्व-सहायता समूहों को मार्केट की डिमांड के अनुसार उत्पादन तैयार करने की ट्रेनिंग दी जाएगी।

कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने बताया है कि राज्य में 10591 गौठानों की स्वीकृति दी जा चुकी है, जिसमें से 7889 गौठान सक्रिय रूप से कामकाज करने लगे हैं। शत-प्रतिशत गौठानों के चालू हो जाने से आय की गतिविधियां बढ़ेंगी।

उन्होंने कहा कि वर्मी कम्पोस्ट और अन्य उत्पादों के लाभांश से लगभग 100 करोड़ रूपए की आय हो चुकी है। इसके साथ ही वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट ने रासायनिक खाद डीएपी की कमी को पूरा करने अहम भूमिका निभाई है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.