नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान से लगी बैंकों को चपत, 3800 करोड़ रुपये नुकसान का अनुमान
एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के डिजिटल भुगतान के ज़रिए अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये जारी की गई पीओएस मशीनों से भुगतान करने पर बैंकों को सालाना 3,800 करोड़ रुपये का नुकसान संभव है।
नई दिल्ली:
नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की सरकार की कोशिश बैंकों के लिए मुसीबत का सबब बन रही है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के डिजिटल भुगतान के ज़रिए अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये जारी की गई पीओएस मशीनों से भुगतान करने पर बैंकों को सालाना 3,800 करोड़ रुपये का नुकसान संभव है।
8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के ऐलान के बाद से मोदी सरकार ने ऑनलाइन भुगतान को बढ़ावा देने के लिये पीओएस मशीनों के इंस्टॉलेशन पर ज़ोर देना शुरू किया था।
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इस कवायद के तह्त बैंकों ने पीओएस टर्मिनल्स की संख्या दोगुनी कर दी थी। पीओएस टर्मिनल के बढ़ने के बाद डेबिट और क्रेडिट कार्ड लेनदेन का आंकड़ा जुलाई 2017 में बढ़कर 68,500 करोड़ रुपये हो गया था। जोकि अक्टूबर 2016 में 51,900 करोड़ रुपये था।
इसके बाद दिसंबर 2016 में तो यह आंकड़ा 89,200 करोड़ रुपये तक की ऊंचाई पर पहुंच गया था।
लेकिन अब एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा अनुमान है दूसरों के जरिये होने वाले लेनदेन (आफ-अस), पीओएस मशीन पर कार्ड से भुगतान करने से 4,700 करोड़ रुपये का वार्षिक नुकसान हुआ है।
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