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टाटा-डोकोमो विवाद सुलझने पर RBI का रोड़ा, अदालत ने रिज़र्व बैंक से पूछे सवाल

दिल्ली हाईकोर्ट ने टाटा ग्रुप और एनटीटी डोकोमो के बीच आरबीआई के हस्तक्षेपर पर सवाल किए है।

Updated on: 09 Mar 2017, 01:49 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली हाईकोर्ट ने टाटा ग्रुप और एनटीटी डोकोमो के बीच आरबीआई के हस्तक्षेप पर सवाल किया है। दरअसल, टाटा ग्रुप और एनटीटी डोकोमो के बीच 2 साल से एक समझौते पर विवाद चल रहा था। अब टाटा ग्रुप के इस सेटलमेंट पर तैयार होने के बाद आरबीआई ने अपना विरोध दर्ज कराया है।  

दरअसल जापान की कंपनी एनटीटी डोकोमो और टाटा ग्रुप के बीच करार को ख़त्म करने के लिए एनटीटी ने टाटा ग्रुप से 1.17 अरब डॉलर हर्जाने की मांग की थी। इस पर टाटा ग्रुप ने इंकार कर दिया था। जिसके बाद जापानी कंपनी ने अंतर्राष्ट्रीय अदालत में याचिका दायर की थी।

अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ने भारतीय कंपनी टाटा ग्रुप को यह हर्जाना चुकाने के आदेश दिए थे। इसके बाद टाटा ग्रुप ने इस आदेश को भारतीय अदालत में चुनौती दी थी, लेकिन साइरस मिस्त्री के कंपनी के चेयरमैन पद से हटने के बाद और एन चंद्रशेखरन के बतौर चेयरमेन टाटा संस की कमान संभालने के बाद टाटा ग्रुप एनटीटी को यह पैसा चुकाने को तैयार हो गई थी।

मामले में नया मोड़ तब आया जब रिज़र्व बैंक ने दोनों कंपनियों के बीच हुई रज़ामंदी पर अपना विरोध दर्ज कराया। बुधवार को इस मामले पर हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने आरबीआई से इस बाबत सवाल उठाए हैं।

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रिज़र्व बैंक ने जापानी कंपनी एनटीटी डोकोमो को टाटा ग्रुप द्वारा 1.17 अरब डॉलर रकम चुकाने विरोध किया है। आरबीआई के मुताबिक यह एक तरह से शेयरों के ट्रांसफर जैसा मामला है, जो कि गैर-कानूनी है।

दिल्ली हाई कोर्ट जस्टिस एस मुरलीधर ने आरबीआई से पूछा है कि जब दोनों पक्ष इस पर सहमत हैं तो क्या आरबीआई को हर्जाने का विरोध करने का अधिकार है। गौरतलब है कि टाटा ग्रुप पहले ही दिल्ली हाई कोर्ट में यह रकम जमा करा चुका है।

कोर्ट ने पूछा है कि, 'क्या हर्जाने के भुगतान के लिए आरबीआई से विशेष अनुमति की जरूरत है?' इसके अलावा जब आरबीआई ने कोर्ट में यह चिंता जताई कि अगर जापानी कंपनी भारत में आर्बिट्रेशन को मनवाने के लिए अपने हक में फैसला हासिल नहीं कर पाई तो 6 महीने बाद वह अमेरिका या ब्रिटेन में इसकी कोशिश कर सकती है। ऐसे में यह एक नियम बन जाएगा। 

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उच्च न्यायालय ने इसे रिज़र्व बैंक की बचकानी दलील करार देते हुए कहा कि क्योंकि, 'आरबीआई की दूसरे देशों में नहीं चलती है। आप दूसरे देश में इस फैसले को लागू करवाने की कोशिश पर कैसे ऐतराज कर सकते हैं।'

जज ने आरबीआई के वकील से यह भी पूछा कि, 'क्या टाटा और डोकोमो डील का विरोध आपका अपना फैसला है या इसके बारे में भारत सरकार से सलाह ली जा रही है?' आरबीआई के वकील ने अदालत को इस सवाल का जवाब नहीं दिया। 

मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को होनी है। अदालत ने अगली सुनवाई में रिज़र्व बैंक को एक नोट या ऐफिडेविट पेश करने को कहा।

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 HIGHLIGHTS

  • दिल्ली हाई कोर्ट ने टाटा-डोकोमो सेटलमेंट पर आरबीआई के हस्तक्षेप की वजह जाननी चाही है
  • टाटा-डोकोमो केस की सुनवाई में अदालत ने पूछा कि क्या केंद्रीय बैंक को हर्जाना भरने पर विरोध का अधिकार है