दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) ने दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा है कि दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी)अदालत के अंतिम आदेश का पालन करने में विफल रही है।
न्यायालय ने 22 दिसंबर को पारित आदेश में डीएमआरसी को एक सप्ताह के भीतर अपने सभी बैंक खातों और उन खातों में पड़े धन का पूरा खुलासा करने का निर्देश दिया था।
डीएएमईपीएल द्वारा दायर यह याचिका डीएमआरसी की ओर से पांच जनवरी को देर से दायर किए गए हलफनामे के जवाब में है जिसमें उसने अपने बैंक खातों का आंशिक / सीमित खुलासा किया है, जो कुल 5,800.93 करोड़ रुपये के फंड में से 1,642.69 करोड़ रुपये के संबंध में है। इसका खुलासा उसने 21 दिसंबर, 2021 को अदालत में जमा किए गए अपने अंतिम हलफनामे में किया था। इसमें कहा गया है कि विशेष रूप से, 17 दिसंबर से 3 जनवरी तक, डीएमआरसी ने 1,642.69 करोड़ रुपये में से 122.06 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
डीएएमईपीएल का कहना है कि डीएमआरसी ने जानबूझकर अपने शेष धन और बैंक खातों का विवरण प्रदान नहीं किया है, जो कि दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश की घोर अवहेलना और अवमानना है।
डीएएमईपीएल का कहना है कि डीएमआरसी का आचरण स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है कि वह जानबूझकर मध्यस्थता आदेश की निष्पादन प्रक्रिया को विफल करने और देरी करने की कोशिश कर रही है, और यह भी सुनिश्चित करता है कि 11 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई अप्रभावी हो जाए।
डीएएमईपीएल ने अपने आवेदन में यह भी कहा है कि डीएमआरसी द्वारा मध्यस्थता आदेश के भुगतान में देरी से प्रतिदिन लगभग 1.75 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ब्याज बोझ पड़ रहा है।
गौरतलब है कि डीएमआरसी ने 21 दिसंबर को अपने अंतिम हलफनामे में अदालत को सूचित किया था कि 17 दिसंबर, 2021 तक उसके पास कुल 5,800.93 करोड़ रुपये की धनराशि थी। इसमें से 1,642.69 करोड़ रुपये को डीएमआरसी फंड के रूप में वर्गीकृत किया गया था और 2,412.12 करोड़ रुपये परियोजना निधि, और शेष 1,746.12 करोड़ रुपये डीएमआरसी निधियों के रूप में हैं।
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Source : IANS