Coronavirus (Covid-19): कोविड-19 महामारी के कारण 40 दिवसीय लॉकडाउन के बाद दैनिक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के संदर्भ में भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को लगभग 320 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। यह बात एक रिपोर्ट में कही गई है. भारत का दैनिक जीडीपी लगभग आठ अरब डॉलर हो सकता है. इंक42 द्वारा तैयार की गई डेटालैब की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रैवेल और मोबिलिटी सेक्टर पर बहुत बुरा असर पड़ा है और ओयो, ओला, मेकमायट्रिप के राजस्व में भारी गिरावट का अनुमान है.
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अक्सर भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) सेक्टर को छोटी फैक्टरियां बंद करनी पड़ीं और वे बहुत कम श्रमशक्ति के साथ काम कर रहे हैं. 'कोविड-19 स्टार्टअप इंपैक्ट रिपोर्ट-थ्रीट्स एंड अपॉर्च्यूनिटीज फॉर द इंडियन इकॉनॉमी' नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस महामारी ने एमएसएमई के राजस्व को कहीं अधिक खत्म किया है. कुछ सेक्टरों के लिए तो यह महामारी ताबूत की अंतिम कील साबित हुई है, लेकिन सप्लाई चेन बाधित होने से विनिर्माण पर हर जगह प्रभाव पड़ा है. हालांकि इन व्यवधानों के बीच भी उपभोक्ताओं में आए स्वभावगत बदलावों के कारण कुछ सेक्टर शिखर पर पहुंच गए हैं.
हाइपरलोकल डिलिवरीज, मीडिया एंड कंटेंट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और अन्य उद्यम संबंधित टेक एप्लीकेशंस जैसी सेवाओं की मांग में अचानक हुई वृद्धि से कुछ भारतीय स्टार्टअप्स की राजस्व संभावनाओं में आगामी वित्त वर्षो में और वृद्धि होगी.
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आर्थिक रिकवरी में लग सकता है 1 साल से अधिक समय: CII
कोरोनावायरस महामाारी के कारण लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का आर्थिक गतिविधियों पर गहरा असर पड़ा है और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा किए गए एक सीईओ स्नैप सर्वेक्षण के अनुसार, 44.7 प्रतिशत कॉरपोरेट प्रमुखों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधरने में एक साल से अधिक का समय लगेगा. अर्थव्यवस्था और उद्योग पर कोविड-19 के प्रभाव पर किए गए स्नैप सर्वेक्षण के अनुसार, चूंकि ज्यादातर कंपनियां अपने राजस्व में भारी गिरावट की लगातार आशंक जता रही हैं, लिहाजा वे अब आर्थिक रिकवरी में देरी का अनुमान लगा रही हैं.