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भापपा के ट्वीटर अकांउट पर दी गई जानकारी
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भापपा के ट्वीटर अकांउट पर दी गई जानकारी
जैसे-जैसे पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे इसको लेकर सोशल मीडिया पर बहस तेज होती जा रही है. अब सोशल मीडिया पर बहस इस बात पर चल रही है कि पेट्रोल और डीजल के दाम किस के शासन में ज्यादा बढ़े. जहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) समर्थक अपने फेवर में तर्क दे रहे हैं, वहीं कांग्रेस ने बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.
सोशल मीडिया में दिए जा रहे कुछ आंकड़ों में बताया गया है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की तुलना में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार में पेट्रोल-डीजल के दामों में कम बढ़ोतरी हुई है. इस पक्ष के आंकड़ों पर नजर डालें, तो 16 मई 2014 को दिल्ली में पेट्रोल के दाम 71.41 रुपए पर था, जो 12 सितंबर को 80.73 रुपए हैं. 16 मई 2014 को दिल्ली में डीजल के दाम 56.71 रुपए थे, जो 12 सितंबर को 72.83 रुपए हैं. इस प्रकार तब से अब तक पेट्रोल के दाम पर 13 फीसदी का और डीजल के दाम में 28 फीसदी अंतर आया है.
चिदंबरम के आरोप
वहीं पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम का कहना है कि केंद्र सरकार चाहे तो पेट्रोल के दाम 25 रुपए प्रति लीटर कमी आ सकती है. उनके अनुसार जब क्रूड ऑयल 78 डॉलर प्रति बैरल चल रहा है तो पेट्रोल 80 रुपए से ज्यादा पार है. जबकि कांग्रेस सरकार 107 डॉलर प्रति बैरल क्रूड ऑयल के दाम होने के बाद भी पेट्रोल डीजल काफी सस्ते में उपलब्ध कराया था. बीते 14 साल में क्रूड ऑयल की कीमतें 2004 में सबसे कम थीं, जब यूपीए सत्ता में थी लेकिन यूपीए 2 के कार्यकाल में ये दाम 112 डॉलर प्रति बैरल के ऊंचे स्तर पर आ गए थे। लेकिन उस वक्त पेट्रोल की कीमत 65.76 रुपए प्रति लीटर थी.
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अब से तुलना
पेट्रोल का रेट अब लगभग 80 रुपए है, जब क्रूड ऑयल की कीमत 86 डॉलर प्रति बैरल के आसपास चल रही हैं. क्रूड की औसतन सबसे ज्यादा कीमत 112 डॉलर से यह 25 फीसदी कम है. लेकिन पेट्रो उत्पादों के दाम नहीं घटाए गए हैं।
Source : News Nation Bureau