भारत ही नहीं दुनियाभर के साथ रही है चीन की भेदभावपूर्ण आर्थिक नीति
चीन ने पहली बार आधिकारिक रूप से स्वीकार किया है टिकटॉक को बैन करने से उसकी मदर कंसर्न कंपनी को 6 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है.
नई दिल्ली :
चीन (China) को चौतरफा घेरने की आक्रामक रणनीति पर भारत लगातार काम कर रहा है. केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने चीन को झटका देते हुए भारत में 59 चीनी ऐप को प्रतिबंधित कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक भारत ने चीन की आर्थिक रूप से कमर तोड़ने की तैयारी शुरू कर दी है. बता दें कि चीन ने पहली बार आधिकारिक रूप से स्वीकार किया है टिकटॉक को बैन करने से उसकी मदर कंसर्न कंपनी को 6 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. गौरतलब है कि चीन लगातार भारतीय उत्पादों के साथ-साथ दुनिया के अन्य व्यवसायों के साथ भेदभाव नहीं करने की बात करता रहा है जबकि अगर आंकड़ों को देखें तो सच्चाई कुछ और ही दिखाई पड़ती है. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि चीन ने किन तरीकों से दुनिया के अन्य देशों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियां बना रखी हैं.
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विदेशी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को तीन साल के भीतर हटाने का निर्देश
चीन ने 9 दिसंबर 2019 को सभी राज्य कार्यालयों को विदेशी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को तीन साल के भीतर हटाने का निर्देश दिया था. चीन के इस फैसले से माइक्रोसॉफ्ट, डेल और एचपी सहित प्रमुख अमेरिकी कंपनियों को बड़ा नुकसान हो सकता है. चीन ने अपनी इस नीति को 3-5-2 करार दिया है. 11 मार्च 2020 को चीन में अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार प्रौद्योगिकी क्षेत्र के आधे से अधिक उत्तरदाताओं का कहना है कि उनके साथ वहां गलत व्यवहार किया जाता है.
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चीन में भारतीय आईटी कंपनियां का नहीं हुआ विकास
विदेशी कंपनियां काफी समय से चीनी व्यवसायों, विशेषकर राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों के साथ असमान प्रतिस्पर्धा के बारे में शिकायत करती रही हैं. चीन में भारतीय आईटी कंपनियों TCS, HCL, Infosys,टेक महिंद्रा और विप्रो का विकास एक दशक के परिचालन के बाद भी प्रतिबंध और गैर-टैरिफ बाधाओं की वजह से पंगु हो चुका है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मंत्रालयों से एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा
वहीं दूसरी ओर सूत्रों से मिली जानकरी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मंत्रालयों से एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा है. इसमें ये कहा गया है कि अपने मंत्रालय को किसे आत्मनिर्भर बना सकते हैं इसकी जानकारी दी जाए. इसका संकेत साफ है कि सरकार अब हर मंत्रालय से चीन की कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाने के प्लान पर काम कर रही है.
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चीन के कई प्रोजेक्ट रद्द
पहले रेलवे उसके बाद टेलीकॉम, सड़क मंत्रालय और अब बाकी मंत्रालय भी चीन की कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाने वाले हैं. साथ ही अब मंत्रालय अपने आप को आत्मनिर्भर बनाने पर भी काम करने जा रहे है यानी सरकारी कामों में भारतीय कंपनियों को प्राथमिकता दी जाएगी. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चीन की कंपनियां जिस सेक्टर में मजबूत हैं भारत अब उन सेक्टर्स में अपने आप को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा. विदेशी निवेश के लिए सिंगल विंडो सिस्टम को अमल में लाया जाएगा. भारत के इस प्लान का असर दिखने भी लगा है. भारत के कदम से बौखलाया चीन अब डब्ल्यूटीओ के ट्रेड एग्रीमेंट का हवाला दे रहा है.
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