चेन्नई मैसूर शताब्दी एक्सप्रेस दक्षिण रेलवे की पहली आईएमएस सर्टिफाइड ट्रेन बन गई है। दक्षिण रेलवे की यह पहली ऐसी ट्रेन सेवा है, जिसने आईएसओ 9001:2015, आईएसओ 14001:2015 और आईएसओ 45001:2018 के साथ आईएमएस प्रमाण-पत्र प्राप्त किया है। आईएमएस सर्टिफाइड ट्रेन के मामले में यह भारतीय रेलवे की पहली शताब्दी और भारतीय रेलवे की दूसरी मेल / एक्सप्रेस ट्रेन भी बन गई है।
चेन्नई-मैसूर-चेन्नई शताब्दी एक्सप्रेस को पर्यावरण के अनुकूल होने, संसाधनों के बेहतर रख रखाव और बेहतर इस्तेमाल के साथ-साथ यात्रियों को आरामदायक यात्रा उपलब्ध कराने के लिए यह एकीकृत प्रबंधन प्रणाली प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ है। इस ट्रेन का प्राथमिक रखरखाव चेन्नई डिवीजन के बेसिन ब्रिज कोचिंग डिपो द्वारा किया जाता है। चेन्नई-मैसूर-चेन्नई के बीच शताब्दी सेवा को कोविड संकट काल से पहले के समय में ट्रेन संख्या 12007/12008 के रूप में चलाया जा रहा था और वर्तमान में इस ट्रेन को विशेष ट्रेन के तौर पर ट्रेन संख्या 06081/06082 (बुधवार को छोड़कर) के साथ चलाया जा रहा है।
आपको बता दें कि चेन्नई-मैसूर-चेन्नई शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन की शुरूआत 11 मई 1994 को हुई थी। इस ट्रेन में 1 जुलाई 2009 को अत्याधुनिक एलएचबी डिब्बे शामिल किए गए। एचओजी सिस्टम पर चलने से इस ट्रेन से प्रदूषण भी कम होता है। गुणवत्तापूर्ण वातानुकूलन, प्रकाश व्यवस्था, बायोडाइजेस्टर शौचालय, अन्य विद्युत सुविधाओं के साथ-साथ यह ट्रेन यात्रियों के लिए सुरक्षित और आरामदायक यात्रा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है।
ट्रेन में 5-चरण की सफाई वाली बेहतर हाउस कीपिंग की सुविधा है। एलईडी लाइटों और बिजली की फिटिंग के माध्यम से ऊर्जा के संरक्षण की भी व्यवस्था है। ब्रेल साइनेज सीट संकेत संख्या की सुविधा है। प्री-लोडेड वाई-फाई इंफोटेनमेंट प्रणाली, एक्जीक्यूटिव कोच में यात्री कूपे के लिए स्वचालित स्लाइडिंग डोर क्लोजर, कोच के अंदरूनी हिस्सों के लिए एस्थेटिक विनाइल रैपिंग , यात्री कूपों और शौचालयों के लिए स्वचालित एयर फ्रेशनर, उच्च गुणवत्ता वाले साजों-सामान के साथ आरामदायक सीटें, पावर कारों के सभी कोचों में अग्नि शमन प्रणाली और अग्निशमन यंत्र की सुविधा के साथ-साथ यात्रियों के लाभ के लिए सभी डिब्बों में आपातकालीन संपर्क नंबरों के साथ एकीकृत सूचना स्टिकर भी लगाए गए हैं।
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Source : IANS