मोदी सरकार चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने में विफल रही है। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2017-18 के लिए राजकोषीय घाटा अनुमान में संशोधन करते हुए उसे 3.2 फीसदी से बढ़ाकर 3.5 फीसदी कर दिया है।
2018-19 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का 3.5 फीसदी यानी 5.9 लाख करोड़ रुपये रह सकता है। सरकार के मुताबिक महंगाई बढ़ने के कारण वित्तीय घाटे में इजाफा हो सकता है।
इससे पूर्व सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2017-18 में वित्तीय घाटा जीडीपी का 3.2 फीसदी रहने का अनुमान जारी किया था। वित्त मंत्री ने कहा, 'वर्ष 2017-18 के लिए संशोधित वित्तीय घाटा 5.9 लाख करोड़ रुपये अर्थात जीडीपी का 3.5 फीसदी है।'
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उन्होंने बताया कि कमी की वजह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद कर राजस्व घट गया है और यह चालू वित्त वर्ष के सिर्फ 11 महीने के लिए ही उपलब्ध है।
वित्तमंत्री ने चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार का संशोधित व्यय 21.47 लाख करोड़ से बढ़ाकर 21.57 लाख करोड़ रुपये रहने की उम्मीद जाहिर की है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि जेटली देश के राजकोषीय संतुलन को कायम रखने में फेल साबित हुए हैं और इसके बेहद गंभीर परिणाम होंगे।
चिदंबरम ने कहा, '2017-18 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.2 फीसदी था जिसे अब बढ़ाकर 3.5 फीसदी कर दिया गया है।' उन्होंने कहा, 'वित्त मंत्री राजकोषीय घाटे की स्थिति को संभालने में विफल रहे हैं और इसके बेहद गंभीर परिणाम होंगे।'
घाटा बढ़ने की स्थिति में सरकार को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक कर्ज लेना पड़ेगा, जिसका असर रेटिंग पर पड़ सकता है।
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HIGHLIGHTS
- मोदी सरकार चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने में विफल रही है
- 2017-18 के लिए राजकोषीय घाटा अनुमान में संशोधन करते हुए उसे 3.2 फीसदी से बढ़ाकर 3.5 फीसदी कर दिया है
Source : News Nation Bureau