1 फरवरी को मोदी सरकार अपना आखिरी पूर्ण बजट संसद में पेश करेगी क्योंकि अगले साल यानि की 2019 में आम चुनाव होने हैं।
ऐसे में सरकार के आखिरी बजट से आम नौकरी पेशा से लेकर किसान तक बड़े उद्योगपति से लेकर रेहड़ी पर दुकान लगाने वाले तक, छात्र से लेकर बेरोजगार युवा तक सब सरकार से राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार गुरुवार को अपने आखिरी बजट में उनके झोले में क्या डालती है।
गुरुवार को पूरे देश की नजरें देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली पर होंगी कि उनके पिटारे से किसके लिए क्या निकलता है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि आखिर देश का कौन सा तबका सरकार से क्या चाहता है और उनकी चाहत पूरी होने की कितनी उम्मीद है।
आम आदमी की उम्मीद टैक्स फ्री हो पांच लाख तक की सलाना आमदनी
देश का आम आदमी जो नौकरी पेशा है और परिवार के लिए रोजी रोटी कमाने के लिए सरकारी या फिर प्राइवेट नौकरी करता है उसकी उम्मीद है कि सरकार ढाई लाख तक के टैक्स फ्री आमदनी को पांच लाख रुपये सलाना तक कर दे।
हालांकि इसकी उम्मीद कम ही है लेकिन सरकार ढाई लाख के दायरे को बढ़ा कर तीन लाख तक जरूरी कर सकती है।
किसान की आस कर्ज से मुक्ति दे सरकार
बीते दिनों कई राज्यों से कर्ज में डूबे किसानों की आत्महत्या की खबरे आईं थी। किसान खेती के लिए बैंक से कर्ज लेते हैं और फिर खराब फसल की वजह से अगर कर्ज नहीं चुका पाते तो दबाव में आकर उन्हें खुदकुशी का रास्ता अपनाना पड़ा है।
मौसम की मार झेलने वाले किसानों के लिए कर्ज की मार दोहरी मुसिबत लेकर आती है। ऐसे में देश के अन्नदाता सरकार से उम्मीद लगाए बैठे है कि कर्ज पर कम से कम ब्याज लगे और फसल खराब होने पर सरकार पूरी तरह कर्ज माफी की योजना बनाए।
देश में सबसे ज्यादा खराब आर्थिक हालत किसानों की ही है। ऐसे में सरकार को इनकी आमदनी बढ़ाने के लिए दूरदर्शी योजना बनाने की जरूरत है।
वैसे भी कृषि विकास के गिरते आंकड़े सरकार के लिए चिंता की बात है तो ऐसे में वित्त मंत्री कृषि क्षेत्र को ज्यादा तवज्जों दे सकते हैं।
युवाओं की उम्मीद - सस्ती हो शिक्षा और योग्यता पर मिले नौकरी
किसी भी देश के युवाओं को उस देश का भाग्य विधाता कहा जाता है। देश का भाग्य युवा बदलते हैं अच्छी और तकनीकी शिक्षा की बदौलत। लेकिन देश में शिक्षा दिन ब दिन महंगी होती जा रही है जिससे गरीब और मिडिल क्लास तक इसकी पहुंच घटती जा रही है।
ऐसे में छात्र सरकार से उम्मीद लगाए बैठे है कि सरकार ऐसे नीतियों और योजनाओं का ऐलान करे जिससे युवाओं को आसानी से शिक्षा के साथ ही लोन और स्कॉलरशिप मिल सके।
छात्र सरकार से कम फीस के साथ ही कॉलेजों में अच्छी सुविधा और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने की भी उम्मीद लगाए बैंठे हैं। वहीं दूसरी तरफ साल 2014 में नरेंद्र मोदी को चुनाव जीतने में अहम भूमिका निभा चुके युवा सरकार से रोजगार के अवसर भी चाहते हैं।
पीएम मोदी ने वादा किया था कि हर साल 2 करोड़ युवाओं को रोजगार मिलेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। भारत की 65 फीसदी आबादी नौजवान है ऐसे में देश में हर साल करोड़ों नौकरियों की जरूरत है लेकिन सरकार नौकरियां नहीं दे पार रही है। ऐसे में ये बेरोजगार युवा सरकार से नौकरियां के ज्यादा मौके चाहती है।
रियल एस्टेट मांगे टैक्स छूट
2018-19 के इस आम बजट से रियल एस्टेट को भी काफी उम्मीदें हैं, जहां रेरा (रियल एस्टेट विनिमयन व विकास अधिनियम), जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) और नोटबंदी लागू होने से कारोबार प्रभावित हुआ है।
इस क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को आम बजट में टैक्स में कटौती और रियल एस्टेट को इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र का दर्जा मिलने की उम्मीद है। रियल एस्टेट उद्योग स्टैंप शुल्क को जीएसटी के तहत लाने तथा जीएसटी की वर्तमान 12 फीसदी दर को घटाकर 6 फीसदी करने की मांग कर रहा है।
हालांकि इसकी उम्मीद कम ही है क्योंकि जीएसटी लागू होने के बाद सरकार के टैक्स कलेक्शन में कमी आई है।
सर्विस सेक्टर को जीएसटी में चाहिए राहत
सर्विस सेक्टर में बात अगर होटल और रेस्टरेंट उद्योग की करें तो वो सरकार से इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा और छोटे और मध्यम वर्ग के कारोबारियों के लिए विशेष फंड चाहते हैं।
होटल उद्योग सरकार से टैक्स में छूट की मांग कर रहे है जिनका दावा है कि दुनिया के मुकाबले भारत में यह टैक्स तीन गुना है। इसके साथ ही सर्विस सेक्टर अपने लिए इंफ्रास्ट्रक्चर स्टेटस की मांग भी कर रहा है।
इसके साथ ही सर्विस सेक्टर में दूर दराज तक सेवा देने वाली कंपनी टैक्स में छूट और टूरिज्म के लिए पीपीपी मॉडल लाने की मांग कर रही है। सर्विस सेक्टर जीएसटी में लगने वाले 18 फीसदी कर को भी फिर से 15 फीसदी तक करने की उम्मीद लगाए बैठा है।
उद्योग जगत को चाहिए टैक्स में छूट
उद्योग जगत इस बजट में सरकार से कॉरपोरेट टैक्स में कमी करने की उम्मीद लगाए बैठा है। अभी यह दर 30 फीसदी है जिसे उद्योग जगत के लोग 25 फीसदी करवाना चाहते हैं।
उद्योग जगत चाहता है कि मिनिमम अल्टरनेटिव टैक्स की दर को भी 18.5 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दिया जाए। औद्योगिक घराने निवेश पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स लगाने की भी मांग कर रहे हैं।
सस्ते हों रेल टिकट, सुविधा और सुरक्षा पर हो जोर
बीते साल से रेल बजट का आम बजट के साथ विलय कर दिया गया है और इसे भी वित्त मंत्री ही पेश करेंगे। इस साल के रेल बजट में सुरक्षा और यात्री सुविधाओं को शीर्ष प्रमुखता दिए जाने की संभावना है।
भारतीय रेलवे की पूरी सिग्नल प्रणाली के पूर्ण आधुनिकीकरण के लिए 78,000 करोड़ रुपये की लागत को आगामी बजट में अन्य सुरक्षा उपायों के बीच मंजूरी मिल सकती है।
रेलवे को इस बार सकल बजट सहयोग (जीबीएस) का 65,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। इसमें बीते साल के मुकाबले 10,000 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। देश के विकास को बढ़ाने के लिए रेल क्षेत्र में निवेश महत्वपूर्ण है। बीते बजट में एक लाख करोड़ रुपये का राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष बनाया गया था।
बजट में सिग्नलों को स्वचालित बनाने के कदम से सुरक्षा के उपायों को आगे और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। बड़े स्तर पर विद्युतीकरण के अलावा नई लाइनें बिछाने, गेज परिवर्तन व दोहरीकरण भी बजट का हिस्सा बने रहेंगे।
मोदी सरकार का यह आखिरी पूर्णकालिक बजट है ऐसे में उम्मीद है कि केंद्र सरकार अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर आम आदमी को राहत देने के साथ ही कई लोक लुभावन वादे पर करे।
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Source : News Nation Bureau