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पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम (पीटीआई)
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पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम (पीटीआई)
पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) में हुए घोटाले को लेकर विपक्ष के हमले का सामना कर रही केंद्र सरकार ने इस पूरे फर्जीवाड़ा के लिए यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) की सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के कार्यकाल में पसंदीदा कंपनियों को फायदा पहुंचाने की नीति बनाई गई, जिसमें गीतांजलि ज्वैलर्स भी शामिल थी।
प्रसाद ने कहा, '15 मई 2014 को पी चिदंबरम ने नई नीति की घोषणा की जिसमें स्टार ट्रेड ऑपरेटर्स को प्रीमियम ट्रेडिंग हाउस से जोड़ दिया गया, जिसमें गीतांजलि ज्वैलर्स भी शामिल थी।'
इन ट्रेडिंग हाउसेज को भारत के किसी भी बंदरगाह से 2,000 किलोग्राम तक का सोना आयात करने की मंजूरी मिल गई और इस दौरान न तो कोई नियंत्रण था और नहीं कोई सत्यापन किया गया।
प्रसाद ने कहा, 'यह एक रैकेट की तरह काम कर रहा था।'
उन्होंने कहा कि मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पर भी लागू होता है और 80/20 गोल्ड स्कीम नीतिगत बदलाव का मामला था।
प्रसाद ने कहा, 'कांग्रेस ने कुछ कंपनियों को गोल्ड एक्सपोर्ट का जिम्मा दिया जबकि यह अधिकार केवल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, सरकारी कंपनियों, एसबीआई और स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन को दिया जाता रहा है।'
उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान पी चिदंबरम ने अपनी पसंदीदा कंपनियों के लिए दरवाजे खोले। और यही वजह रही कि 'जिन कंपनियों को 80/20 योजना में शामिल होने की अनुमति नहीं थी उन्हें भी इसमें भाग लेने की मंजूरी मिल गई।'
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गौरतलब है कि केंद्र सरकार पीएनबी में हुए करीब 12,700 करोड़ रुपये के घोटाले के लिए यूपीए सरकार की नीतियों को जिम्मेदार बताती रही है। केंद्र सरकार का कहना है कि यूपीए सरकार के दौरान पी
चिदंबरम ने नीतियों में फेरबदल कर मेहुल चोकसी और नीरव मोदी जैसे ज्वैलर्स को मदद पहुंचाई, जो पीएनबी बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी है।
क्या है 80/20 योजना?
यूपीए की सरकार के दौरान अगस्त 2013 में इस योजना की शुरुआत की गई थी। तत्कालीन यूपीए सरकार ने मौजूदा नियमों में ढील देते हुए निजी कंपनियों को इस योजना के तहत सोना आयात करने की मंजूरी दी थी।
इस योजना के तहत पंजीकृत ट्रेडर्स को कुल आयातित गोल्ड का 20 फीसदी हिस्सा एक्सपोर्ट करना था और वह 80 फीसदी गोल्ड घरेलू इस्तेमाल के लिए रख सकते थे।
तत्कालीन सरकार ने बढ़ते चालू खाता घाटा को रोकने के लिए गोल्ड के आयात को कम करने की दिशा में इस नीति की शुरुआत की थी। हालांकि बाद में नवंबर 2014 के दौरान एनडीए सरकार ने इस योजना को खत्म कर दिया था।
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Source : News Nation Bureau