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चीन में मौजूद विदेशी कंपनियों को मोदी सरकार का बड़ा ऑफर, भारत आओ हाथों-हाथ जमीन पाओ

भारत ने चीन में स्थापित दुनिया भर की कंपनियों को आमंत्रित करने के लिए देशभर में 4,61,589 हेक्टेयर क्षेत्र की पहचान कर ली है. कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद चीन की तमाम विदेशी कंपनियां वहां से निकल कर बाहर जाना चाहती हैं.

Updated on: 05 May 2020, 05:25 PM

नई दिल्ली:

चीन के वुहान से निकले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को कई साल पीछे ढकेल दिया. अब दुनिया भर के कई देश इस बात से नाराज हैं कि इस वायरस को चीन ने दुनिया भर में फैलाया. इन देशों की नाराजगी के चलते अब वो चीन से अपनी कंपनियों सहित बाहर निकलने का प्रयास कर रहे हैं.  भारत ऐसे देशों की कंपनियों के लिए दिल्ली के 3 गुना बराबर जमीन को विकसित करने में लगा हुआ है. इसका सीधा मतलब ये है कि जो कंपनियां चीन से बाहर निकलकर भारत आने की तैयारी कर रही हैं भारत उन्हें हाथों हाथ जमीन देने की तैयारी कर रहा है. भारत ने दुनिया भर की कंपनियों को आमंत्रित करने के लिए देशभर में  4,61,589 हेक्टेयर क्षेत्र की पहचान कर ली है.

भारत ने ऐसी कंपनियां जो चीन से भारत आना चाहती हैं उनके लिए महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों को चुना है. भारत सरकार ने इन राज्यों में 115,131 हेक्टेयर मौजूदा औद्योगिक जमीन भी शामिल कर ली है. आपको बता दें कि भारत में निवेश करने की इच्छुक कंपनियों के लिए किसी भी देश में जाकर भूमि आवंटन का मामला सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण होता है. इन कंपनियों को सऊदी अरब को से लेकर पॉस्को तक जमीन अधिग्रहण में देरी होने की वजह से काफी से निराश हुई है. वहीं भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रशासन राज्य सरकारों के साथ मिलकर इस स्थित को बदलने का काम कर रहा है. 

भारत सुविधाओं सहित देगा विनिर्माण को बढ़ावा
पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से अपने देश का इकोनॉमी बचाने में लगी है. वहीं भारत विनिर्माण क्षेत्रों में बढ़ावा देने के उद्देशय से इस समय निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है. मौजूदा समय भारत में निवेश करने के इच्छुक देश भारत में लगातार जमीन अधिग्रहण की कोशिश में लगे हुए हैं. भारत में किसी भूमि का अधिग्रहण करने के लिए पहले काफी मशक्कत करनी पड़ती थी, जिसकी वजह से ये कंपनियां प्रोजेक्ट में देरी की वजह से यहां निवेश करने में झिझकती थीं, क्योंकि इस डील में छोटे जमीन मालिकों के साथ मोल भाव करना भी शामिल होता था. वहीं मौजूदा भारत की मोदी सरकार ने अब ऐसे निवेशकों के लिए बिजली, पानी और सड़क की सुविधा के साथ जमीन प्रदान करने की व्यवस्था की है.

भारत ने किया जापान,यूएस और दक्षिण कोरिया से संपर्क
भारत के इस लुभावने ऑफर के बाद विदेशों में दूतावासों से उन कंपनियों की पहचान करने के लिए कहा गया है जो भारत में निवेश करने में रुचि दिखा रही हों. इसके बाद भारत सरकार की निवेश एजेंसी इन्वेस्ट इंडिया ने मुख्य रूप से अमेरिका, जापान, चीन और दक्षिण कोरिया से इस बारे में पूछताछ की है, आपको बता दें कि इन देशों ने एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में आने की जबरदस्त रुचि दिखाई है. साथ ही आपको ये भी बता दें कि ये चार देश भारत के शीर्ष 12 व्यापारिक भागीदारों में से हैं, जिनका कुल द्विपक्षीय व्यापार 179.27 बिलियन डॉलर है. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल 2000 और दिसंबर 2019 के बीच इन चार देशों का भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 68 अरब डॉलर से अधिक है.