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मकान खरीदने के लिए होम लोन लेना हो या किसी निजी काम के लिए पर्सनल लोन, आम आदमी विभिन्न तरह ब्याज दरों को समझ ही नहीं पाता. फिक्सड ब्याज दर बेहतर है या फ्लोटिंग, यह समझना उसके लिए बेहद कठिन होता है. आम आदमी तो केवल यह समझ पाता है कि उसने एक निश्चित धनराशि का लोन लिया है और उसका भुगतान उसे एक निश्चित अवधि तक एक निश्चित ईएमआई के रूप में करना है. चलिए आपको बताते हैं कि फ्लोटिंग ब्याज दर क्या होती है और फिक्सड ब्याज दर उससे कैसे अलग होती है? यह जानकर आप फैसला ले पाएंगे कि आपके लिए कौन-सी ब्याज दर पर लोन लेना उचित रहेगा.
फिक्स्ड ब्याज दर की खासियत
फिक्स्ड ब्याज दरें लोन की पूरी अवधि के दौरान समान रहती हैं, क्योंकि इसे शुरू में ही पूरी अवधि के लिए निर्धारित कर दिया जाता है. इस वजह से लोन लेने वाले के लिए ईएमआई या मासिक किस्त समान रहती है. बाजार में ब्याज दरें बढ़ने का असर फिक्स्ड ब्याज दरों पर नहीं पड़ता. इसके साथ ही यदि बाजार में ब्याज दरें गिरती हैं, तो उसका लाभ भी नहीं मिलता. आमतौर पर फिक्स्ड ब्याज दर, फ्लोटिंग ब्याज दर से कुछ ज्यादा होती है.
फ्लोटिंग ब्याज दर की खासियत
बैंक की बेंचमार्क दरों, जैसे कि रेपो रेट आदि, में बदलाव होने पर फ्लोटिंग ब्याज दर में भी बदलाव हो जाता है. वह कम या ज्यादा हो सकती है. इससे आपकी मासिक ईएमआई में भी कमी या बढ़ोतरी हो जाती है. बाजार में यदि ब्याज दरें घटती हैं, तो फ्लोटिंग ब्याज दर में भी कमी हो जाती है. इसी तरह फ्लोटिंग ब्याज दर में बढ़ोतरी होने पर आपको अपने लोन पर ज्यादा ब्याज दर देनी पड़ सकती है. आमतौर पर होमलोन का प्रीपेमेंट करने पर आपको पेनल्टी नहीं लगती.
आपके लिए कौन-सी ब्याज दर है बेहतर-फिक्स्ड या फ्लोटिंग
अगर आप कोई लोन लेने जा रहे हैं, तो पहले आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि इन दोनों में से कौन-सी ब्याज दर आपके लिए बेहतर होगी. अलग-अलग व्यक्ति की परिस्थितयां अलग-अलग होती है. इसलिए अपने वित्तीय हालात के अनुसार ही वह ब्याज दर का चुनाव करेगा. यदि लोन लेने वाला व्यक्ति ब्याज दरों में होने वाली कमी और बढ़ोतरी की टेंशन से बचना चाहता है और वह चाहता है कि उसे हर महीने की अपनी ईएमआई का पता पहले से रहे, ताकि वह अपने घर का बजट उसी आधार पर बना सके, तो उसे फिक्स्ड ब्याज दर का चुनाव करना चाहिए. यदि कोई व्यक्ति चाहता है कि उसकी ब्याज दर फिक्स्ड ब्याज दर से कम हो और उसे ब्याज दरों में बार-बार होने वाले बदलाव और मासिक ईएमआई के कम-ज्यादा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता, तो उसे फ्लोटिंग ब्याज दर चुननी चाहिए.
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