भारतीय बैंक सादे एटीएम की जगह अब बहु-प्रणाली मशीनों जैसे नकदी रिसाइकलर्स स्थापित करने पर जोर दे रहे हैं।
एफआईएस पेमेंट सोल्यूशंस एंड सर्विसस प्रोवाइडर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हालांकि साल 2016 के सितंबर से 2017 के सितंबर तक एटीएम की संख्या रिसाइकलर्स की तुलना में अधिक बढ़ी है, लेकिन अब बैंक रिसाइकलर्स पर ज्यादा जोर दे रहे हैं।
एटीएम और एलाइड सर्विसेस की प्रबंध निदेशक राधा राम दुरई ने कहा, 'बैंक अपने एटीएम चैनल की प्रणाली में बदलाव ला रहे हैं। अब वे उन जगहों से अपना एटीएम हटा रहे हैं, जहां उनकी मांग कम है तथा उसे ऐसी जगह ले जा रहे हैं, जहां मांग अधिक है। वहीं, पुरानी एटीएम मशीनों को भी नई बहु-प्रणाली मशीनों (रिसाइकलर्स) से बदला जा रहा है।'
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार, देश में बैकों द्वारा स्थापित कुल एटीएम की संख्या सितंबर के अंत तक 2,07,211 है, जबकि साल 2016 के सितंबर तक इनकी संख्या 2,04,062 थी।
रिसाइकलर एटीएम ऐसी मशीनें होती हैं, जिसमें नकदी जमा भी की जा सकती है और वह मशीन उसी नकदी को एटीएम के रूप में इस्तेमाल करती है।
ये मशीनें इसके अलावा नकली या अमान्य नोट की भी पहचान कर सकती हैं और उन्हें छांट कर अलग रख सकती हैं।
राम दुरई ने कहा, 'सामान्य एटीएम में नकदी को पहचानने की क्षमता नहीं होती है। ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जब एटीएम से नकली नोट निकला है और लोगों को परेशानी के साथ नुकसान का सामना करना पड़ा है।'
अमेरिका की नौ अरब डॉलर की कंपनी फिडेलिटी नेशनल इंफरेमेशन सर्विसिस इंक (एफआईएस) वित्तीय सेवा प्रौद्योगिकी क्षेत्र की एक प्रमुख वैश्विक कंपनी है, जो खुदरा और संस्थागत बैंकिंग, भुगतान, परिसंपत्ति, परामर्श और आउटसोर्सिंग समाधान जैसी सेवाएं मुहैया कराती है।
यह कंपनी कई भारतीय बैंकों की 13,000 से अधिक एटीएम का प्रबंधन करती है।
यह कंपनी भारत की तीन शीर्ष भुगतान प्रोसेसर्स कंपनियों में से एक है और इसमें 13,000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं।
राम दुरई ने यह भी कहा कि बैंक अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड को बदलने की प्रक्रिया में हैं और चिप आधारित कार्ड ला रहे हैं, जिसमें ग्राहकों का डेटा कहीं अधिक सुरक्षित रहता है।
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बीटीआई पेमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के. श्रीनिवास ने बताया कि हालांकि एटीएम की कुल संख्या बढ़ रही है, लेकिन बैंक शहरी क्षेत्रों में अब कम एटीएम लगा रहे हैं।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में उसके सहयोगी बैंकों के विलय के बाद से एटीएम की संख्या सुव्यवस्थित हो रही है।
लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में नकदी निकालने की मांग बढ़ती जा रही है। क्योंकि सरकार ने सब्सिडी की रकम सीधे किसानों के बैंक खातों में देनी शुरू कर दी है। इसके अलावा और अधिक संख्या में जन धन खाते खोले जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि एटीएम से नकदी के लेनदेन में तेजी दर्ज की जा रही है और नकदी की जरूरत कभी खत्म नहीं होने वाली है।
रिसाइकलर्स के बारे में उन्होंने कहा कि ये फिलहाल महंगे हैं और अगर इनकी कीमत छह लाख रुपये तक गिरती है, तभी इसकी व्यवहार्यता बढ़ेगी। एक सामान्य एटीएम की कीमत 2.5 लाख रुपये के करीब होती है।
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HIGHLIGHTS
- बैंक सादे एटीएम की जगह अब बहु-प्रणाली मशीनों जैसे नकदी रिसाइकलर्स स्थापित करने पर जोर दे रहे हैं
- देश में बैकों द्वारा स्थापित कुल एटीएम की संख्या सितंबर के अंत तक 2,07,211 है
Source : IANS