ऑटो सेक्टर (Auto Sector) में मंदी की एक वजह कहीं ये भी तो नहीं, समझें मंदी का पूरा कच्चा चिट्ठा

ऑटो सेक्टर में GST ज्यादा होने से बिक्री में गिरावट देखने को मिल रही है. NBFC संकट और BS-6 इंजन अगले साल से लागू होने की वजह से भी ऑटो सेक्टर में मंदी गहरा गई है.

ऑटो सेक्टर में GST ज्यादा होने से बिक्री में गिरावट देखने को मिल रही है. NBFC संकट और BS-6 इंजन अगले साल से लागू होने की वजह से भी ऑटो सेक्टर में मंदी गहरा गई है.

author-image
Dhirendra Kumar
एडिट
New Update
ऑटो सेक्टर (Auto Sector) में मंदी की एक वजह कहीं ये भी तो नहीं, समझें मंदी का पूरा कच्चा चिट्ठा

Slowdown In Auto Sector

Auto Sector Crisis: मौजूदा समय में ऑटो इंडस्ट्री (Autu Industry) में भारी मंदी का माहौल है. देश की कई बड़ी कंपनियों ने जहां उत्पादन में कमी कर दी है. वहीं दूसरी ओर लाखों नौकरियां जाने की आशंका भी जताई जाने लगी है. सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स (Society of Indian Automobile Manufacturers-SIAM) के मुताबिक अकेले ऑटो सेक्टर में 10 लाख नौकरियां जाने का खतरा बढ़ गया है. वैसे तो ऑटो सेक्टर में आई मंदी के लिए कई कारणों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, लेकिन आज हम एक ऐसे विषय पर चर्चा करने जा रहे हैं जिसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ऑटो इंडस्ट्री में आई मंदी में शामिल होने की आशंका जानकार जता रहे हैं.

Advertisment

यह भी पढ़ें: अब भारत में भी पैसा बनाएंगे मशहूर निवेशक वॉरेन बफे (Warren Buffetts), यहां करेंगे निवेश

कैब सर्विस भी हो सकती है एक वजह
पिछले कुछ वर्षों में देश में छोटे-छोटे शहरों में ओला-उबर जैसी कंपनियों ने कार (Car) की सवारी इतनी सस्‍ती और सुविधाजनक कर दी है कि अब यह किसी के पहुंच से दूर नहीं रह गई है. यही वजह है कि अब कुछ लोग खुद की कार खरीदने की बजाय इनकी सेवा लेना बेहतर और फायदेमंद मान रहे हैं. जानकारों की मानें तो आम लोगों के बीच कारों की खरीदारी को लेकर नकारात्मक भाव होने की वजह से भी कारों की बिक्री पर असर पड़ा है. ऐसा इसलिए क्योंकि वे कैब से आना-जाना आसान और सस्ता उपाय मानते हैं. मान लीजिए कि आप अपनी कार से रोजाना ऑफिस जाते हैं और उसकी तुलना ओला-उबर जैसी किसी कैब से करते हैं तो पता चलेगा कि कैब की सेवा लेना बचत के साथ-साथ काफी आरामदायक भी है.

यह भी पढ़ें: ज्वैलरी इंडस्ट्री (Jewellery Industry) पर भी मंदी का साया, पैदा हो सकता है रोजगार संकट, GJC का बड़ा बयान

GST ज्यादा होने से बिक्री में गिरावट
केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए उन पर लगने वाली GST को तो घटा दिया है लेकिन अन्य गाड़ियों पर अभी अधिक GST है. अन्य गाड़ियों और उनके पार्ट्स पर 28 फीसदी जीएसटी लगने से गाड़ियों की लागत में बढ़ोतरी हो गई है. यही वजह है कि 6 माह से देश में वाहनों की बिक्री में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देशभर में कई कंपनियों ने गाड़ियों का उत्पादन बंद कर दिया है.

यह भी पढ़ें: सातवां वेतन आयोग (7th Pay Commission): इस राज्य के कर्मचारियों को हुआ बड़ा फायदा, अक्टूबर से मिलेगी बढ़ी सैलरी

संकट में कर्ज देने वाली कंपनियां 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, खुदरा बाजार में मारूति की जितनी गाड़ियों की बिक्री होती है, उसमें से करीब एक तिहाई कारों के लिए कर्ज नॉन बैंकिंग फाइनैंशल कंपनी (NBFC) मुहैया कराते हैं. बता दें कि छोटे शहरों में NBFC के जरिए गाड़ियों की खरीद के लिए कर्ज दिए जाते हैं. NBFC छोटे शहरों में कर्ज प्रदाता के तौर पर एक प्रमुख साधन माना जाता है. चूंकि मौजूदा समय में ज्यादातर NBFCs के वित्तीय संकट में फंसी हुई है और वे कर्ज की वसूली भी नहीं कर पा रही हैं. यही वजह है कि NBFC की लोन देने की क्षमता कम हो गई है. इसीलिए उन्होंने फिलहाल गाड़ियों आदि के लिए कर्ज देना कम कर दिया है.

यह भी पढ़ें: मंदी की आहट के बीच आई एक और बुरी खबर, ऑटो सेक्टर को GST से राहत नहीं!

लोगों को नए इंजन का इंतजार
कंपनियों को 1 अप्रैल 2020 तक वाहनों में BS-6 इंजन लगाना अनिवार्य होगा. फिलहाल कंपनियां BS-4 इंजन लगा रही हैं. बता दें कि BS-6 से डीजल वाहनों से 68 फीसदी और पेट्रोल वाहनों से 25 फीसदी नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा. यही वजह है कि लोग BS-6 वाली गाड़ियों का इंतजार कर रहे हैं, जिसकी वजह से भी मांग में कमी देखने को मिल रही है.

GST Auto Sector News Auto Sector Crisis Auto Sector Slowdown Automobile Industry
      
Advertisment