कश्मीर से मिश्री किस्म की चेरी दुबई निर्यात की गई, बागवानी को बढ़ावा मिलने की आस
कश्मीर से मिश्री किस्म की चेरी दुबई निर्यात की गई, बागवानी को बढ़ावा मिलने की आस
नई दिल्ली:
बागवानी फसलों के निर्यात को बढ़ावा देने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए कश्मीर घाटी से मिश्री किस्म की स्वादिष्ठ चेरी का पहला वाणिज्यिक लदान (शिपमेंट) श्रीनगर से दुबई के लिए निर्यात किया गया है।वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, एपीडा (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) ने दुबई में चेरी के शिपमेंट में सहायता की है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, लदान से पहले चेरी को एपीडा से पंजीकृत निर्यातक द्वारा चेरी की तुड़ाई, सफाई और पैकिंग की गई थी, जबकि तकनीकी जानकारी कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराई गई है।
बयान में कहा गया है, एपीडा-राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केंद्र (नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर ग्रेप्स), पुणे स्थित एक राष्ट्रीय रेफरल प्रयोगशाला है, जिसने लदान में खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सहायता प्रदान की है, इससे विशेष रूप से मध्य-पूर्व देशों में चेरी के ब्रांड सृजन में मदद मिलेगी।
इस लदान से पहले नमूने की एक खेप जून 2021 के मध्य में श्रीनगर से दुबई के लिए हवाई जहाज से भेजी गई थी, जिसे मुंबई से ट्रांसशिप किया गया था। दुबई में उपभोक्ताओं से मिली उत्साहजनक प्रतिक्रिया के बाद मिश्री किस्म की चेरी का पहला वाणिज्यिक लदान दुबई के लिए निर्यात किया गया है।
मिश्री किस्म की यह चेरी न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि इसमें स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ विटामिन, खनिज और वनस्पति यौगिक भी भरपूर मात्रा में होते हैं। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में देश की वाणिज्यिक किस्मों की चेरी के कुल उत्पादन का 95 प्रतिशत से अधिक उत्पादन होता है। यहां चेरी की चार किस्मों - डबल, मखमली, मिश्री और इटली का मुख्य रूप से उत्पादन होता है।
चेरी के वाणिज्यिक लदान की शुरुआत से आने वाले सीजन में कश्मीर से विशेष रूप से मध्य-पूर्व के देशों में आलूबुखारा, नाशपाती, खुबानी और सेब जैसे कई समशीतोष्ण फलों के निर्यात के लिए बड़े अवसर उपलब्ध होंगे।
एपीडा सेब, बादाम, अखरोट, केसर, चावल, ताजे फलों और सब्जियों तथा प्रमाणित जैविक उत्पादों जैसे कृषि उत्पादों की कश्मीर से निर्यात करने की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए किसानों, कृषि उत्पादक संगठनों (एफपीओ), सरकारी अधिकारियों और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत कर रहा है।
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