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बहिष्कार के बावजूद भारत -चीन का कारोबार आंकड़ा रिकार्ड 100 बिलियन डालर तक पहुंचा: रिपोर्ट

बहिष्कार के बावजूद भारत -चीन का कारोबार आंकड़ा रिकार्ड 100 बिलियन डालर तक पहुंचा: रिपोर्ट

Updated on: 27 Dec 2021, 05:45 PM

नई दिल्ली:

चीन में बने उत्पादों के बार बार बहिष्कार किए जाने के बावजूद भारत और चीन के बीच कारोबार आंकड़ा इस वर्ष नवंबर तक 100अरब डालर की रिकार्ड ऊंचाई तक पहुंच गया। ग्लोबल टाइम्स ने चीनी सामान्य प्रशासन सीमा शुल्क के नवीनतम आंकड़ों के हवाले से यह जानकारी दी है।

चीनी मीडिया ने कहा है कि भारत में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो व्यापार घाटे को लेकर चिंतित रहते हैं और चीन के साथ व्यापार करने पर अधिक भरोसा नहीं करने की बात भी करते हैं लेकिन दोनों देशों के बीच कारोबार के आंकड़े खुद ही तस्वीर स्पष्ट कर रहे हैं।

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है इन लोगों की राजनीतिक सोच चाहे कुछ भी हो, लेकिन चीन को भारत के दुश्मन के तौर पर मानना यह विकल्प तो नहीं होना चाहिए और न ही यह सोच होनी चाहिए कि भारत के लिए यह वहनीय नहीं है। दोनों देशों के बीच सहयोग को और बढ़ाना ही उचित विकल्प है।

इसमें कहा गया है भारत को चीन के साथ अपने व्यापार घाटे को कम करने की लंबे समय से उम्मीद है लेकिन भारत के लिए चीनी आयात को कम करने से द्विपक्षीय व्यापार को अधिक संतुलित बनाना आसान नही होगा। ऐसा करने से भारतीय अर्थव्यवस्था को ही नुकसान होगा। इसके अलावा चीन को भारत से अपने आयात को और बढ़ाना ही सही कदम है और इस संबंध में दोनों देशों के बीच समन्वय के लिए काफी गुंजायश है तथा यह दोनों के बीच संयुक्त प्रयास होना चाहिए।

ग्लोबल टाइम्स ने कहा है दोनों देशों के बीच रिकार्ड कारोबार उनकी आर्थिक पूरकताओं और द्विपक्षीय संबंधों में मजबूत लचीलेपन का सबसे बेहतर प्रमाण है। इसके अलावा भारत ने कम दामों में चीनी उत्पादों का आयात करके अधिक विदेशी मुद्रा भंडार को बचाया है और पूंजी दक्षता को भी बढ़ाया है। इसके अलावा चीन से भारी मात्रा में चीनी मशीनरी और इलेक्ट्रानिक्स सामानों का आयात और देश के स्मार्टफोन क्षेत्र में चीनी निवेश ने भारतीय लोगों की जरूरतों को पूरा किया है और अन्य देशों में भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिला है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है भारत और चीन के बीच विनिर्माण के क्षेत्र में सहयोग की काफी क्षमता है और इस सहयोग से दोनों देशों के भविष्य में व्यापार संतुलन को अधिक बढ़ावा मिलेगा। इसे देखते हुए चीनी निवेश के प्रति भारत को अपनी कुछ अनुपयुक्त प्रथाओं को दूर करने की आवश्यकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है चाहे कोई इसे पसंद करे या नहीं, लेकिन यह भी सही है कि चीन के साथ भारत पहले से ही मजबूती से जुड़ा है और यह अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति चेन में अंतरनिहित हैं। दोनों देशों के बीच चुनौती यह नहीं है कि कौन किसका स्थान लेगा बल्कि यह है कि वैश्विक आपूर्ति चेन में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए किस तरह मिल कर काम किया जाना है।अगर भारत और चीन के व्यापार संबंध गहराने के बजाए धीरे धीरे बजाय कमजोर पड़ते हैं तो यह दोनों देशों के हितों के लिए प्रतिकूल होगा।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.