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(फाइल फोटो)
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(फाइल फोटो)
एफआरडीआई बिल को लेकर जारी आशंकाओं को दूर करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि सरकार वित्तीय संस्थानों में लोगों की जमा नकदी की हिफाजत करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है।
जेटली ने साथ ही प्रस्तावित फाइनैंशियल रिजॉल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल 2017 के प्रावधानों में बदलाव के भी संकेत दिए।
जेटली ने कहा कि सरकार ने बैंकों को जो 2.11 लाख करोड़ रुपये देने की घोषणा की है, उसका मकसद बैंकों की हालत को मजबूत करना है और ऐसे में किसी बैंक के दीवालिया होने का कोई सवाल ही नहीं उठता है।
जेटली ने कहा, 'अगर ऐसी कोई स्थिति पैदा होती है तो सरकार ग्राहकों की जमा रकम की हिफाजत करने के लिए पूरी तरह से सक्षम है। सरकार की मंशा इस बारे में बिलकुल साफ है।'
एफआरडीआई बिल 2017 को इस साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया जा चुका है। फिलहाल संयुक्त संसदीय समिति इस बिल की समीक्षा कर रही है। जेटली इस बिल से जुड़ी आशंकाओं को दूर करने की कोशिश कर रहे थे।
विशेषज्ञों के मुताबिक इस बिल में 'बेल-इन' का प्रावधान जमाकर्ताओं के लिए नुकसान पहुंचाने वाला है। उन्होंने कहा, 'एफआरडीआई बिल संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष है। समिति की जो भी सिफारिशें होंगी, उस पर सरकार विचार करेगी'
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जेटली ने कहा कि इस बिल को लेकर अफवाह उड़ाई जा रही हैं। गौरतलब है कि विपक्षी दल संसद के मानसून सत्र में इस विधेयक का पुरजोर विरोध करने का ऐलान कर चुके हैं।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (माकपा) इस विधेयक को 'जीवनभर की कमाई बैंक में जमा करने वाले करोड़ों आम लोगों पर खुल्लम-खुल्ला हमला' बताते हुए रविवार को कहा कि वह प्रस्तावित विधेयक का संसद में पुरजोर विरोध करेगी। वाम दल की ओर से कहा गया कि 'डूब रहे बैंकों और बैंकों से भारी उधारी लेने वाले निगमों को बचाने' वाले विधेयक को रोकने में वह अन्य दलों से समर्थन की मांग करेगी।
माकपा ने कहा, 'बैंकों ने निगमों को भारी कर्ज दिया है, जिसकी वापसी नहीं हो रही है। अब बैंकों के घाटे भी भरपाई करोड़ों जमाकर्ताओं की बचतों से करने की कोशिश की जा रही है।'
एफआरडीआई विधेयक लोकसभा में मानसून सत्र में ही पेश हो चुका है और इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया है।
माकपा ने कहा कि इसमें जमाकर्ता के पैसे की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। पार्टी विधेयक के मौजूदा स्वरूप का संसद में विरोध करेगी और अन्य दलों से भी समर्थन चाहेगी, क्योंकि यह करोड़ों लोगों के हित का सवाल है जिनकी जीवनभर की बचत खतरे में पड़ सकती है।
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Source : News Nation Bureau