वित्त पर स्थायी मामलों की एक समिति ने तीन प्रतिष्ठित आर्थिक और वित्तीय शोध संस्थानो की रिपोर्ट के हवाले से एक चौकाने वाली जानकारी दी है. रिपोर्ट के अनुसार भारतीयों ने 1980 से लेकर 2010 तक की अवधि में 216.48 अरब डॉलर से 490 अरब डॉलर का कालाधन देश के बाहर भेजा गया. समिति ने इस रिपोर्ट को संसद में भी रखा है.
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इन तीन संस्थानों ने किया है अध्ययन
- कालेधन पर राजनीतिक विवाद के बीच मार्च 2011 में तत्कालीन सरकार ने तीनों संस्थाओं को देश और देश के बाहर भारतीयों के कालेधन का अध्ययन करने की जिम्मेदारी दी थी.
- इन तीन संस्थानों में राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी), राष्ट्रीय व्यावहारिक आर्थिक शोध परिषद (एनसीएईआर) और राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंध संस्थान (एनआईएफएम) शामिल हैं.
- कांग्रेस के एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली इस स्थायी समिति ने 16वीं लोक सभा भंग होने से पहले गत 28 मार्च को ही लोक सभा अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी.
प्राथमिक रिपोर्ट
समिति ने कहा है वह इस विषय में संबद्ध पक्षों से पूछताछ की प्रक्रिया में कुछ सीमित संख्या में ही लोगों से बातचीत कर सकी. क्योंकि उसके पास समय का अभाव था. उसने कहा है कि इसलिए इस संदर्भ में गैर सरकारी गवाहों और विशेषज्ञों से पूछताछ करने की कवायद पूरी होने तक इसे समिति की प्राथमिक रिपोर्ट के रूप में लिया जा सकता है.
दिया यह सुझाव
समिति ने कहा है कि वह वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग से अपेक्षा करती है कि वह कालेधन का पता लगाने के लिए और अधिक शक्ति के साथ प्रयास करेगा. समिति ने कहा कि विभाग इन तीनों अध्ययनों और कालेधन के मुद्दे पर गठित एसआईटी द्वारा प्रस्तुत सातों रिपोर्टों पर आगे की आवश्यक कार्रवाई भी करेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुप्रतीक्षित प्रत्यक्ष कर संहिता को जल्द से जल्द तैयार कर उसे संसद में रखा जाए ताकि प्रत्यक्ष कर कानूनों को सरल और तर्कसंगत बनाया जा सके.
बतादें 2018 में सामने आई जानकारी के अनुसार भारतीयों के 7000 करोड़ रुपए स्विस बैंक में जमा हैं.
Source : News Nation Bureau